भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सेंगर की संलिप्तता वाले रेप मामले में पीड़िता की मां ने सहअभियुक्त शशि सिंह के बरी होने पर सवाल उठाते हुए कहा है कि फर्जी मामले में फंसाये गये उनके देवर को रिहा न किये जाने तक उन्हें पूरा न्याय नहीं मिलेगा।
पीड़िता की मां ने दिल्ली की एक अदालत द्वारा विधायक सेंगर को रेप के मामले में दोषी ठहराये जाने के बाद प्रकरण की सहअभियुक्त शशि सिंह को बरी किये जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि सहअभियुक्त को क्यों छोड़ा गया, जबकि वही उनकी बेटी को नौकरी का झांसा देकर सेंगर के पास ले गयी थी।
उन्होंने कहा कि विधायक सेंगर के इशारे पर उनके देवर महेश सिंह को फर्जी मुकदमे में फंसाकर जेल भेजा गया है। जब तक वह बाइज्जत रिहा नहीं होते, तब तक उन्हें पूरा न्याय नहीं मिलेगा। पीड़िता की मां ने कहा कि उन्हें अब भी जान का खतरा है क्योंकि सेंगर अगर जेल के अंदर रहकर रायबरेली में उनकी बेटी और रिश्तेदारों की कार पर ट्रक से टक्कर लगवा सकता है तो वह कुछ भी कर सकता है।
उन्होंने सेंगर को फांसी देने की भी मांग की। इस बीच, कुलदीप सेंगर के माखी गांव में अदालत के निर्णय पर खामोशी व्याप्त है। गांव और उन्नाव शहर में स्थित विधायक के आवास पर समर्थकों को छोड़कर परिवार का कोई सदस्य नहीं मिला। पूछने पर बताया गया कि सभी लोग दिल्ली में हैं। समर्थक कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थे।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 में एक नाबालिग लड़की से रेप के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सोमवार को अपहरण और दुष्कर्म का दोषी ठहराया था। अदालत सेंगर को बुधवार को सजा सुनाएगी। हालांकि अदालत ने मामले में एक अन्य आरोपी शशि सिंह को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
उप्र की बांगरमऊ विधानसभा सीट से विधायक सेंगर को इसी साल अगस्त में भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। सेंगर पर आरोप लगाने वाली युवती की कार को 28 जुलाई में एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जिसमें वह गंभीर रूप से जख्मी हो गई थी। दुर्घटना में युवती की दो रिश्तेदार मारी गईं और उसके परिवार ने इसमें षड्यंत्र होने के आरोप लगाए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस में दर्ज सभी पांच मामलों को एक अगस्त को उत्तर प्रदेश में लखनऊ की अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित करते हुए निर्देश दिया कि रोजाना आधार पर सुनवाई की जाए और इसे 45 दिनों के अंदर पूरा किया जाए। न्यायालय ने यह व्यवस्था पीड़िता द्वारा भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे पत्र पर संज्ञान लेते हुए दी थी।
रेप पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए यहां स्थित एम्स अस्पताल में एक विशेष अदालत भी बनाई गई थी। पीड़िता को लखनऊ के एक अस्पताल से हवाई एंबुलेन्स के जरिये दिल्ली ला कर यहां भर्ती कराया गया था। उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर युवती और उसके परिवार को सीआरपीएफ की सुरक्षा दी गई है।