उत्तर प्रदेश के इलाहबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को फैसला किया है कि, वह मामलों की सुनवाई के लिए हाइब्रिड तकनीक का इस्तेमाल करेगा। इस तकनीक में वकीलों के पास वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पेश होने का विकल्प होगा। इससे पहले उच्च न्यायालय ने फैसला किया था कि, सभी अदालतें पहले के जैसे काम करेंगी, जिसके कारण सोमवार को वकीलों ने विरोध किया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल आशीष गर्ग द्वारा जारी व्यवस्थाओं में यह स्पष्ट किया गया है कि, अदालतों में सुनवाई के लिए सीमित संख्या में केवल नए मामले सूचीबद्ध किए जाएंगे।
अधिवक्ताओं की सीमित संख्या को प्रवेश की दी जाएगी अनुमति
उच्च न्यायालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, मुख्य न्यायाधीश के आदेश के अधीन, पुराने और निर्थक मामलों को अग्रिम नोटिस के साथ वाद (मामले) को सूचीबद्ध किया जा सकता है। इसके अलावा, हिरासत में लिए गए अभियुक्तों की जमानत याचिकाओं/अपीलों और बंदी वाली याचिकाओं को सूचीबद्ध किया जाएगा। रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि, जिन मामलों में एक तारीख तय की गई है उन्हें उस विशेष तारीख पर सूचीबद्ध किया जाएगा। अधिवक्ताओं की सीमित संख्या को कोर्ट रूम में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और शेष अधिवक्ता, जिनके मामले सूचीबद्ध हैं वे कोर्ट रूम के बाहर अपनी बारी का इंतजार करेंगे और साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करेंगे।
ई-पास के माध्यम से अदालत में प्रवेश कर सकेंगे वकील
अधिसूचना में रजिस्ट्रार जनरल ने वकीलों को सलाह दी कि वे अदालतों में भीड़ को कम करने के लिए वर्चुअल मोड से जुड़ें। उन्होंने आगे कहा, जिन वकीलों के मामले सूचीबद्ध हैं, उन्हें ई-पास के माध्यम से अदालत परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। केवल उन वकीलों को अदालत परिसर में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी, जिनके मामले उस विशेष तिथि पर तय किए गए हैं।