उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में चोथे चरण के लिए आज का दिन प्रचार के लिए आखिरी दिन है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तरफ से सरकार बनाने के लिये जी-तोड़ मेहनत कर रही समाजवादी पार्टी(सपा) ने देवरिया जिले की सातों विधानसभा सीटों पर इस बार एक भी यादव प्रत्याशी न उतार कर एक नये समीकरण को जन्म दिया है।देवरिया में सपा ने अपनी पुरानी रणनीति को बदलते हुए इस चुनाव में ब्राह्मण और पिछड़ वर्ग के गैर यादव मतदाताओं को साधने की कोशिश में यह प्रयोग किया है। चुनावी विश्लेषकों का मानना है सपा गैर यादव पिछड़ जातियोंऔर ब्राह्मणों को साथ लेकर ही इस इलाके में नैया पार लगाने की रणनीति पर चल रही है।
गैर यादव पिछड़े, दलितों और सवर्णों खासकर ब्राह्मणों को विशेष तवज्जो
सपा ने यहां की सात सीटों में तीन सीट पर गैर यादव पिछड़, दो पर ब्राह्मण, एक पर अनुसूचित जाति और एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है। जानकारों का मानना है कि मुसलमान और यादवों की पार्टी के रूप में अभी तक पहचान बनाने वाली सपा ने यहां इस बार गैर यादव पिछड़े, दलितों और सवर्णों खासकर ब्राह्मणों को विशेष तवज्जो दी है।
सपा के अन्य सभी प्रत्याशी चुनाव में पराजित हो गए थे
पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि यादव और मुसलमान तो उसके साथ पहले से ही हैं, लेकिन सत्ता हासिल करने के लिए इस क्षेत्र में गैर यादव पिछड़ जातियों की अधिकता को देखते हुए यह रणनीति अपनायी है। पार्टी का भरोसा है कि सभी पिछड़े जातियों और ब्राह्मणों का साथ मिलने पर उसके उद्देश्य की प्राप्ति हो सकती है।
सपा ने 2017 के चुनाव में देवरिया की भाटपाररानी विधानसभा सीट से मात्र एक ब्राम्हण आशुतोष उपाध्याय को टिकट दिया था। सिर्फ इसी एक सीट पर सपा की जीत भी हुई थी। जबकि यहां दो मुस्लिम प्रत्याशी समेत सपा के अन्य सभी प्रत्याशी चुनाव में पराजित हो गए थे। ऐसे में सपा ने इस बार के चुनाव में गैर यादव पिछड़ और ब्राह्मणों को लुभाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
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देवरिया जिले की 7 विधानसभा सीटें
इसके तहत सपा ने देवरिया जिले की 7 विधानसभा सीटों में देवरिया सदर में सैंथवार, रुद्रपुर में निषाद और बरहज में जायसवाल जाति के पिछड़ वर्ग के उम्मीदवार को टिकट दिया है। भाटपाररानी और पथरदेवा विधानसभा सीट पर ब्राम्हण उम्मीदवार उतारा है, जबकि एक सीट रामपुर कारखाना में मुस्लिम महिला और सुरक्षित सीट सलेमपुर में दलित उम्मीदवार को टिकट दिया है।