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यूपी: मायावती ने अखिलेश और शिवपाल की बढ़ाई सियासी मुश्किलें, चुनाव में बसपा ने चला दलित कार्ड

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा-प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को राजनीतिक घमासान तेज होता जा रहा है। इस कड़ी में प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा-प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया (पीएसपीएल) के प्रमुख शिवपाल सिंह यादव के खिलाफ दलित उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बसपा के कुलदीप नारायण मैनपुरी में करहल सीट से सपा अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, जबकि ब्रजेंद्र प्रताप सिंह इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट से पीएसपीएल प्रमुख के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। 
चुनाव में प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को वरीयता दी जाएगी- मायावती  
करहल और जसवंतनगर दोनों ही अनारक्षित सीटें हैं और इसे समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। सपा 1993 से करहल और जसवंतनगर सीट जीत रही है। बसपा के एक नेता ने कहा कि नारायण और सिंह पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। दोनों जाटव समुदाय से हैं और जमीनी स्तर पर पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, मैनपुरी और इटावा में पार्टी के जनाधार को मजबूत कर रहे हैं। 
59 विधानसभा क्षेत्रों में 20 फरवरी को मतदान 
बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी कार्यकर्ताओं को यह संदेश देने के लिए कि विधानसभा चुनाव में प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं को वरीयता दी जाएगी, राजनीतिक दिग्गजों के खिलाफ कुलदीप नारायण और ब्रजेंद्र प्रताप सिंह को मैदान में उतारने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि बसपा को ऐसे समय में युवा पार्टी कैडर को लामबंद करने की उम्मीद है जब ज्यादातर वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। मायावती ने गुरुवार को यूपी विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए पार्टी के 53 उम्मीदवारों की सूची जारी की, जहां 11 जिलों के 59 विधानसभा क्षेत्रों में 20 फरवरी को मतदान होगा। 
11 जिलों में – मैनपुरी, इटावा, फिरोजाबाद, एटा, हाथरस, कासगंज, कन्नौज, फरुर्खाबाद और औरैया – को समाजवादी पार्टी का गढ़ कहा जाता है। 53 उम्मीदवारों में से 18 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के हैं, 17 दलित हैं, 15 उच्च जाति के हैं और तीन मुस्लिम हैं। 
11 जिलों (जिनमें तीसरे चरण के विधानसभा चुनाव होंगे) में बड़ी संख्या में पिछड़ी और दलित आबादी है। जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बसपा प्रमुख ने दोनों समुदायों के अधिकतम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। बसपा नेता ने कहा कि सोशल इंजीनियरिंग फॉमूर्ले के तहत ब्राह्मण और राजपूत उम्मीदवारों को भी सवर्ण बहुमत वाली सीटों पर उतारा गया है। मायावती 2 फरवरी को एक जनसभा को संबोधित कर आगरा से पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत करेंगी।

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