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यूपी सरकार का दावा – खत्म हुआ मनमानियों का दौर, पर क्या सूबे में हर जरूरतमंद को मिल रहा है राशन

सूबे में गरीबों और जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिये प्रदेश सरकार ने जहां एक तरफ राशन वितरण की व्यवस्था को भ्रष्टाचार रहित बनाया है। वही दूसरी तरफ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) योजना के तहत नए राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया को तेज किया है।

एक समय था जब राशन की दुकानों पर समय से पहले ही ‘राशन खत्म हो गया है’ के बोर्ड लग जाया करते थे और जरूरतमंद कोटेदार की मनमानियों के शिकार थे। लेकिन अब वो ‘समय खत्म हो गया है’। सूबे में गरीबों और जरूरतमंदों को राहत पहुंचाने के लिये प्रदेश सरकार ने जहां एक तरफ राशन वितरण की व्यवस्था को भ्रष्टाचार रहित बनाया है। वही दूसरी तरफ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) योजना के तहत नए राशन कार्ड बनाने की प्रक्रिया को तेज किया है। 
बीते छह माह में 1,61, 256 लोगों के नए राशनकार्ड बनाए गए हैं। इसके चलते अब प्रदेश में एनएफएसए राशनकार्ड धारकों की संख्या बढ़कर 3,60,12,758 हो गई हैं। इनमें से 3,59,97,869 एनएफएसए राशनकाडरें को आधार कार्ड से जोड़ दिया गया हैं। यह नया रिकार्ड है, क्योंकि सूबे के 99.79 फीसद राशन कार्ड अब आधार कार्ड से जुड़ गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में किसी अन्य राज्य में अभी राशन कार्डो को आधार कार्ड से जोड़ा नहीं जा सका है। यूपी अब देश का ऐसा राज्य हो गया है, जिसके 99.79 राशन कार्ड अब आधार कार्ड से लिंक हैं। 
राशन कार्डो को आधार कार्ड से जोड़ने के चलते अब राशन वितरण में होने वाली धांधली पर पूरी तरह रोक लग गई है। इसके साथ ही ई-पास (प्वाइंट आफ सेल) मशीन के उपयोग से राशन वितरण में अब कोटेदार की धांधली पर अंकुश लगाया गया है। हर राशन कार्ड धारक को राशन मिल रहा है। अब उन लोगों को भी राशन देने की व्यवस्था कर ली गई है जिनके अंगूठे का निशान का मिलान नहीं हो पा रहा था। ऐसे राशन कार्ड धारकों को मोबाइल ओटीपी के आधार पर राशन मुहैया कराया जाएगा। 
अन्य राज्यों से यूपी में रोजगार करने आये लोग भी इस योजना के तहत राशन की दूकानों से राशन पा रहे हैं। उक्त व्यवस्था की चलते ही इस वर्ष कोरोना संकट में सरकार ने 15 करोड़ लोगों को जुलाई और अगस्त में फ्री राशन उपलब्ध कराया। सरकार के राशन वितरण कार्यक्रम में सरकारी राशन दुकानों से हर कार्ड धारक को 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल वितरित किया गया। कोरोना की पहली लहर के दौरान भी योगी सरकार ने पात्र कार्ड धारकों को 8 महीने तक मुफ्त राशन वितरण किया था। तब 5 किलो खाद्यान्न प्रति यूनिट की दर से राज्य सरकार ने सरकारी दुकानों से अप्रैल से नवंबर तक 60 लाख मेट्रिक टन खाद्यान्न का मुफ्त वितरण किया था, जो कि देश में एक रिकॉर्ड है। 
इस बार भी पात्र कार्ड धारकों को सरकार ने फ्री राशन दिया गया। अब गरीब और जरूरतमंदों को सस्ता राशन मुहैया कराने का यह सिलसिला जारी रहेगा क्योंकि सरकार ने राज्य में राशन कार्ड बनाने तथा राशन वितरण की व्यवस्था को बेहतर किया गया है। जिसके चलते राज्य में बने 3,60,12,758 एनएफएसए राशन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक किया गया है। सरकार के इस प्रयास से राज्य में राशन वितरण का कार्य भ्रष्टाचार मुक्त हो गया है। 
खाद्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, गरीब और जरूरतमंदों को राशन मुहैया कराने को लेकर सूबे की सरकार बेहद संवेदनशील है। जिसके चलते ही प्रदेश सरकार ने सबसे पहले मई 2020 में ‘वन नेशन वन राशन’ कार्ड योजना को लागू किया गया था। जिसके तहत अब प्रदेश के सभी नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में अन्त: जनपदीय राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी लागू है। 
‘वन नेशन, वन राशन’ कार्ड योजना के तहत प्रदेश में नेशनल पोर्टेबिलिटी की सुविधा के चलते प्रदेश के 87,239 कार्डधारकों द्वारा अन्य राज्यों से और अन्य राज्यों के 8110 कार्डधारकों द्वारा उत्तर प्रदेश में राशन लिया गया है। खाद्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस योजना को लागू करने के चलते यूपी से दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र में कार्य करने गए श्रमिक वहां राशन की दुकानों से राशन ले रहे हैं। 
यूपी से दिल्ली गए 27,585, हरियाणा गए 20,964 और महाराष्ट्र गए 11,587 लोगों ने राशन लिया है। यही नहीं अब गलत तरीके से राशन कार्ड बनवाने वाले लोगों के राशन कार्ड निरस्त करने की कार्रवाई भी की जा रही हैं, ताकि जरूरतमंदों को ही फ्री और सस्ता राशन मिले। अपर मुख्य सचिव का कहना है कि यूपी में जरुरतमंद को राशन बांटने की व्यवस्था आसान की गई है। इसमें होने वाली धांधली को रोकने की व्यवस्था की गई है। 

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