उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में मंगलवार को प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने छात्रों को संबोधित किया। उ्न्होंने अपने संबोधन में कहा की, विश्वविद्यालयों में ऐसी समिति बनाई जाए जो देश दुनिया में हो रहे बदलावों के मद्देनजर दीर्घकालिक नीति बनाए और कुलपति बदलने पर विश्वविद्यालय की नीति नहीं बदलनी चाहिए। उन्होंने कहा, कोई जरूरी नहीं कि उत्तर प्रदेश के विद्यार्थी इसी प्रदेश में रहेंगे। वे अन्य प्रदेश या विदेश भी जा सकते हैं। इसलिए वैश्विक परिदृश्य के हिसाब से विद्यार्थियों को तैयार करने की जिम्मेदारी हर विश्वविद्यालय की है।
कई छात्रों को पदक से किया गया सम्मानित
प्रयागराज में छात्रों को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा, इस विश्वविद्यालय ने नारी सशक्तिकरण पर एक पाठ्यक्रम तैयार किया है। मैं उम्मीद करती हूं कि आने वाले समय में हमारी बेटियां आगे बढ़ती रहेंगी। दीक्षांत समारोह में स्नातकोत्तर के कुल 14,503 छात्र-छात्राओं और स्नातक के कुल 1,78,868 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। इसके अलावा, स्नातक और स्नातकोत्तर के विभिन्न विषयों में विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक, रजत पदक और कांस्य पदक से सम्मानित किया गया। दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर धीरेंद्र पाल सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, विश्वविद्यालय या शिक्षण संस्थान के उद्देश्य की बात होती है तो प्रयागराज में जन्मे और काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय का स्मरण होता है।
विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष ने भी किया संबोधित
विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष सिंह ने कहा, मालवीय ने बीएचयू की स्थापना के समय ही विश्वविद्यालय के उद्देश्य के बारे में बहुत स्पष्ट कहा था कि, व्यक्ति और समाज की उन्नति के लिए बौद्धिक विकास से कहीं अधिक महत्वपूर्ण चारित्रिक विकास है। सिंह ने कहा कि, शिक्षा का अर्थ केवल डिग्री और रिपोर्ट कार्ड तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन की हर परिस्थिति में अपने आचरण और मूल्यों को संजोते हुए सही निर्णय लेने के बारे में सिखाता है। यह अवसरों को खोजने नहीं बल्कि रचनात्मकता के बल पर अवसरों का सृजन करने की सीख देता है।