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यूपी: ब्लैक फंगस से जूझते मरीजों की बढ़ सकती है मुश्किलें, योगी सरकार ने तय किए कड़े नियम

उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली अहम लाइपोसोमल एम्फोटेरीसीन-बी इंजेक्शन व दवाएं खुले बाजार में नहीं बिकेंगी। योगी सरकार ने दवा की बिक्री के नए नियम लागू कर दिए हैं।

देश में कोरोना संक्रमण के बाद ब्लैक फंगस लोगों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है, ऐसे में इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन व दवाओं की मांग भी तेजी से बढ़ रही है। इस स्थिति को देखते हुए यूपी सरकार ने कड़ा निर्णय लिया है, जिसका मरीजों पर खासा असर पड़ेगा। ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली अहम लाइपोसोमल एम्फोटेरीसीन-बी इंजेक्शन व दवाएं खुले बाजार में नहीं बिकेंगी। योगी सरकार ने दवा की बिक्री के नए नियम लागू कर दिए हैं। 
उप्र मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन ने दवा खरीद की प्रक्रिया चालू कर दी है। कारपोरेशन सीधे कंपनियों से दवा खरीद रहा है। वहीं कंपनियों ने प्राइवेट मेडिकल स्टोर को इंजेक्शन व जरूरी दवाएं देने से मनाकर दिया है। ऐसे में मरीजों के पास सिर्फ दवा खरीदने का एक ही विकल्प बचा है। जो कि काफी जटिल है। इसकी वजह से मरीजों को खासी दिक्कतें हो रही हैं। तीमारदार दवा के लिए अधिकारी व सरकारी दफ्तरों में धक्के खा रहे हैं।
वहीं, ब्लैक फंगस का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज भर्ती हैं। काफी मरीजों को ऑपरेशन तक की जरूरत पड़ रही है। गंभीर व ऑपरेशन के बाद ब्लैक फंगस मरीजों को लाइपोसोमल एम्फोटेरीसीन-बी इंजेक्शन की डोज देनी पड़ती है। कई मरीजों को दिन में एक बार तो कुछ को दो बार देने की आश्यकता पड़ती है। सामान्य दशा में एक सप्ताह इंजेक्शन की खुराक देनी पड़ती है। बहुत से मरीजों को डॉक्टर इससे अधिक दिनों तक इंजेक्शन की सलाह देते हैं।
ब्लैक फंगस की दवा मरीजों को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया काफी जटिल है। मरीज की जान बचाने में अहम इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरीसीन-बी के लिए सरकारी व निजी अस्पताल के अलग नियम हैं। सरकारी क्षेत्र में राजकीय मेडिकल कॉलेजों को यह दवा मिलेगी। इनमें दवा वितरण की जिम्मेदारी चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक को दी गई है। निजी अस्पतालों में भर्ती मरीज को डॉक्टर पर्चे पर लिखेगा। 
यह पर्चा अपर निदेशक स्वास्थ्य और मंडल कमिश्नर के पास जाएगा। यहां से मंजूरी के बाद रेडक्रॉस सोसाइटी के दफ्तर जाएगा। रेडक्रॉस मरीज को 6000 रुपये का लाइपोसोमल इंजेक्शन 1500 रुपये का इमल्शन इंजेक्शन देगा। इस प्रक्रिया को पूरा करने में समय पर ब्लैक फंगस के मरीज को भी दवा नहीं मिल पा रही है। ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं का जबरदस्त संकट है। सिप्स, अपोलो समेत दूसरे अस्पतालों में भर्ती मरीजों को इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं। तीमारदार इंजेक्शन के लिए मेडिकल स्टोर में भटक रहे हैं। 
जानकारी के मुताबिक, तीमारदार हरीश ने बताया कि उनका मरीज आलमबाग के निजी अस्पताल में भर्ती है। डॉक्टर ने ब्लैक फंगस का इंजेक्शन लाने को कहा है। अमीनाबाद से लेकर महानगर तक के मेडिकल स्टोर के धक्के खाए। कहीं नहीं मिला। जिला प्रशासन से लेकर कैसरबाग स्थित रेडक्रास सोसाइटी तक दौड़ लगाई। पर कहीं भी राहत नहीं मिली है। इसी तरह अनिल का मरीज चौक के सिप्स में भर्ती है। उसे भी इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है। इससे मरीजों की जान बचाना कठिन हो गया है।

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