दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार से संबंधित केंद्र सरकार के विधेयक को राज्यसभा में नामंजूर कराने की कवायद में जुटे हैं। इसके लिए वह गैर-भाजपा दलों के नेताओं से मिलकर उनसे समर्थन मांग रहे हैं। इसी कड़ी में वह आज उत्तर प्रदेश में सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे। लोकसभा चुनाव से पहले उनकी यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे- CM केजरीवाल
आम आदमी पार्टी (आप) के मीडिया प्रभारी वैभव महेश्वरी ने बताया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश में लगे हैं। अभी तक चेन्नई के मुख्यमंत्री स्टालिन, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव से भेंट कर चुके हैं। उसी कड़ी में आज यूपी में अखिलेश यादव से भेंट करेंगे। इस दौरान उनके साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और संजय सिंह भी होंगे। महेश्वरी ने बताया कि इस अध्यादेश के खिलाफ अगर विपक्षी दल अपनी एकजुटता दिखाते हैं तो यह निश्चित तौर 2024 के लिए भाजपा के खिलाफ लामबंद होने कड़ी में महत्वपूर्ण साबित होगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट किया, मैं और भगवंत मान साहब लखनऊ में अखिलेश यादव जी से मिलेंगे और केंद्र सरकार के असंवैधानिक अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के लोगों के अधिकारों के लिए समर्थन मांगेंगे।
केंद्र सरकार के ग़ैर संवैधानिक अध्यादेश के ख़िलाफ़ दिल्ली की जनता के हक़ में समर्थन माँगने के लिए कल मैं और भगवंत मान साहिब लखनऊ में अखिलेश यादव जी से मिलेंगे।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 6, 2023
बता दें कि राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सीएम केजरीवाल विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात करके राज्यसभा में बिल का विरोध करने के लिए समर्थन मांग रहे हैं।समाजवादी पार्टी के राज्यसभा और लोकसभा में तीन-तीन सदस्य हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी इनका समर्थन लेकर इस अध्यादेश का विरोध करेगी।
सूत्रों के मुताबिक, कि आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल के साथ उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह भी मौजूद रहेंगे। ऐसे में लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी बातचीत हो सकती है क्योंकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद विपक्षी एकता की कोशिश में जुटे हुए हैं।