समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) वैश्विक महामारी कोविड-19 के सच को झुठलाकर चुनाव प्रचार में व्यस्त हो गयी है। अखिलेश ने बुधवार को यहां जारी बयान में कहा है कि उत्तर प्रदेश में आज बेरोजगारी आत्महत्याओं के रूप में एक भयावह समस्या बन गई है।
भाजपा कोरोना के सच को झुठलाकर चुनाव में व्यस्त हो गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा बेकारी और भुखमरी को समस्या ही नहीं मान रही है तो समाधान क्या करेगी। बिहार में चुनाव आते ही कुछ दिनों बाद तो प्रदेश के स्टार प्रचारक भी उड़ जाएंगे। भाजपा लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश में जुटी है। सौ करोड़ से ज्यादा खर्च एक वर्चुअल रैली पर करके जनता से छल किया जा रहा है।
बिहार के बाद बंगाल और अब किसी अन्य राज्य में भी यही कहानी दुहराई जाएगी। यादव ने कहा कि कोरोना महामारी के समय अन्य असाध्य बीमारियों के इलाज के लिए विधायक निधि से कम से कम 50 लाख देने की व्यवस्था होनी चाहिए। हृदयरोग, किडनी, लीवर तथा कैंसर के इलाज के लिए समाजवादी सरकार में मुफ्त चिकित्सा व्यवस्था थी। इसके साथ विधायक निधि से 25 लाख रूपए की व्यवस्था बीमारी के इलाज के लिए देने की भी की गई थी।
भाजपा सरकार ने विधायक निधि से सहायता देने की व्यवस्था बंद कर दी हैं। एक संवेदनहीन सरकार ही ऐसा अमानवीय कार्य कर सकती है। उन्होंने कहा कि जनता को धोखा देने और बहकाने में भाजपा का कोई मुकाबला नहीं कर सकता। दावा किसानों के बैंक खातों में पैसे भेजने का किया जा रहा है, लेकिन वास्तव में 20 लाख करोड़ रूपये के महापैकेज से किसानों के खाते में एक रूपया भी नहीं आया है।
उल्टे किसान के जमा खाते से कर्ज अदायगी के लिए दबाव बनाया जा रहा है। कन्नौज में एक प्रवासी मजदूर के परिवार में जब खाने के लाले पड़ने लगे तो महिला ने अपना जेवर बेच दिया। उसको न राशन मिला और नहीं काम। यादव ने पूछा लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों के लिए तीन लाख करोड़ के बंटवारे में उत्तर प्रदेश को कितना मिला।
उसका कहां और कब इस्तेमाल होगा। बेरोजगार नौजवानों को कब से काम मिलेगा। रोजी-रोटी देने की जगह प्रदेश की भाजपा सरकार हवाई दावों से श्रमिकों का पेट भरना चाहती है और रोजगार के झूठे आंकड़ से जनता को भ्रमित करना चाहती है।
मजदूर एटलस साइकिल का पहिया थमने के बाद साहिबाबाद में ऑटो गियर बनाने वाली कम्पनी में भी काम बंद हो गया है। मजदूर बताते हैं कि भाजपा सरकार में सत्ता संरक्षित दबंग मजदूरी के लाइन में जगह दिलाने की एवज में सौ-सौ रूपए की दलाली खा रहे हें। छिन चुका रोजगार तो भाजपाई दे नहीं सकते तो कम से कम बचे खुचे रोजगार को तो दलालों के चंगुल से मुक्त रखे। गरीबों को बेरोजगार होने से बचाने में 20 लाख करोड़ के पैकेज का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है।