उत्तर प्रदेश सरकार निवेश के लिहाज से मजबूत स्तंभ माने जाने वाले रियल एस्टेट सेक्टर पर फोकस कर रही है। योगी सरकार का आकलन है कि रियल एस्टेट के सेक्टर में अगले पांच वर्ष में 7.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश आ सकता है। इसमें खासतौर पर अर्बन एरिया में ध्यान दिया जा रहा है। इसके तहत अर्बन एरिया में छोटी-छोटी मार्केट के पास 64 लाख घर बनाए जाएंगे। इसमें एचआईजी, एमआईजी, एलआईजी और ईडब्ल्यूएस के घर शामिल हैं। इन मकानों को बनाने के लिए सरकार प्राइवेट कंपनियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगी।
जीएसडीपी में रियल एस्टेट का योगदान 14.4 प्रतिशत
मुख्यमंत्री ने बीते दिनों बैठक में अधिकारियों को एक सर्वे की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वर्ष 2020-21 में उत्तर प्रदेश की ग्रास स्टेट डॉमेस्टिक प्रोडक्ट (जीएसडीपी) में रियल एस्टेट का योगदान 14.4 प्रतिशत है, जो 34 बिलियन रुपये के बराबर है और इस सेक्टर से करीब 20 लाख लोग जुड़े हुए हैं। सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस ओर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार यह सेक्टर प्रदेश की ग्रोथ, विकास और रोजगार के नये अवसर उपलब्ध कराने में सहायक हो सकता है।
शहरी क्षेत्र में 10.7 लाख घर
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान में प्रदेश की आबादी 23.09 करोड़ है, जिसमें 23.7 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है जो 5.47 करोड़ है। वहीं वर्ष 2027 में प्रदेश की आबादी 24.47 करोड़ हो जाएगी, जिसमें 35 प्रतिशत आबादी शहरी क्षेत्र में बढ़ेगी जो 8.56 करोड़ हो जाएगी। ऐसे में प्रदेश के शहरी क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में 3.09 करोड़ आबादी बढ़ेगी। वर्तमान में शहरी क्षेत्र में 10.7 लाख घर हैं, जबकि अगले पांच वर्षों में आबादी के अनुसार शहरी क्षेत्र में 64 लाख घरों की जरूरत होगी। यही वजह है कि रियल एस्टेट में बूम आएगा, जो प्रदेश को वन ट्रिलियन इकॉनमी बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाएगा।
घरों को बनाने में 75 हजार एकड़ जमीन की जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि 64 लाख घर बनाने में 7.3 लाख करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट होगा। 64 लाख घरों में एचआईजी, एमआईजी, एलआईजी और ईडब्ल्यूएस श्रेणियां शामिल हैं। अनुमान के अनुसार एक घर बनाने में औसत 15 सौ रुपये प्रति स्क्वायर फिट का खर्च आएगा। इन घरों को बनाने में 65 प्रतिशत योगदान प्राइवेट रियल एस्टेट कंपनी का होगा जबकि 35 प्रतिशत योगदान सरकार के अधीन प्राधिकरण का होगा। इन घरों को बनाने में 75 हजार एकड़ जमीन की जरूरत होगी, जिसमें सरकार के पास वर्तमान में 32 हजार एकड़ जमीन उपलब्ध है। ऐसे में सरकार को 43 हजार एकड़ जमीन की और व्यवस्था करनी होगी।