उत्तर प्रदेश सरकार ने खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिया अनेक योजनाओं को क्रियान्वन किया है। अब उनका ध्यान गन्ना किसानो की ओर है। गन्ना का उत्पादन बढ़ाकर किसानों के जीवन में मिठास घोलने का प्रयास शुरू किया गया है।इसके लिए मिलों के संचलन की व्यवस्था को दुरूस्त करने के बाद सरकार का जोर अब गन्ने की खेती को और लाभप्रद बनाने पर है। यह तभी संभव है जब खेती की लागत कम हो। प्रति हेक्टेयर उपज बढ़े। इसमें समय पर कृषि निवेश की उपलब्धता एवं सिंचाई के अपेक्षाकृत दक्ष संसाधनों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
उल्लेखनीय है कि गन्ना साल भर की फसल है। इसके तैयार होने में 3 से 7 बार पानी की जरूरत पड़ती है। एक अनुमान के मुताबिक प्रति किलोग्राम गन्ना उत्पादन में 1500 से 3000 हजार लीटर पानी की जरूरत होती है। यह तब है जब किसान खेत की परंपरागत रूप से तालाब, पोखर, नलकूप, पंपिंगसेट से सिंचाई करते हैं। इस विधा से सिंचाई में आधा से अधिक पानी बर्बाद हो जाता है। अगर खेत की लेवलिंग सही नहीं है तो कहीं कम और कहीं अधिक पानी लगने से फसल को होने वाली क्षति अलग से।
90 फीसद एवं अन्य किसानों को 80 फीसद तक अनुदान
कृषि विशेषज्ञ गिरीश पांडेय बताते हैं कि ड्रिप इरीगेशन (टपक प्रणाली) से कम समय मे हम फसल को जरूरत भर पानी देकर पानी की बर्बादी के साथ सिंचाई की लागत भी बढ़ा सकते हैं। यही वजह है कि सरकार का ड्रिप एवं स्प्रिंकलर विधा से सिंचाई पर खासा जोर है।इसके लिए योगी सरकार लघु सीमांत किसानों को तय रकबे के लिए 90 फीसद एवं अन्य किसानों को 80 फीसद तक अनुदान देती है।
गन्ना विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार विभाग ने भी एक पहल की है वह ड्रिप इरीगेशन के लिए किसानों को 20 फीसद ब्याज मुक्त ऋण देगी। इसकी अदायगी गन्ना मूल्य भुगतान से हो जाएगी। यह ऋण किसानों को चीनी मिलें एवं गन्ना विकास विभाग उपलब्ध कराएगा। इससे प्रदेश के 90 फीसद से अधिक गन्ना उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा। यह किसानों का वही वर्ग है जो चाहकर भी संसाधनों की कमी की वजह से खेती में यंत्रीकरण का अपेक्षित लाभ नहीं ले पाता।
गन्ना विकास कोष स्थापित करने का भी निर्णय लिया
गिरीश पांडेय कहते हैं कि ड्रिप इरीगेशन के कई लाभ हैं। पानी की बचत के अलावा किसान इसी से सीधे पौधों की जड़ों में पानी में घुलनशील उर्वरकों भी दे सकते है। इस तरीके से खाद के पोषक तžवों की अधिकतम प्राप्ति से गन्ने की उपज भी बढ़ेगी। मसलन सिंचाई एवं इसे करने में श्रम की बचत, कम खाद के प्रयोग में बेहतर उपज होगी। लिहाजा खेती की घटी लागत एवं बढ़ी उपज से किसानों की आय बढ़ेगी। यही योगी सरकार की मंशा भी है। इस बाबत हाल ही में यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन और विश्व बैंक के संसाधन समूह के बीच एक मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग भी हो चुकी हैइसी तरह खेत की तैयारी से लेकर बोआई में मदद के लिए सरकार ने गन्ना विकास कोष स्थापित करने का भी निर्णय लिया है।