लगातार घटते भूजल स्तर के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने जल संरक्षण के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है, जिसके अंतर्गत वह सरकारी कार्यालयों, स्कूल-कालेजों और व्यापारिक संस्थानों में ‘रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम’ वर्षा जल संचयन प्रणाली अनिवार्य करने जा रही है।
इसके तहत भविष्य में किसी भी शैक्षणिक संस्थान को मान्यता देने से पहले इस प्रणाली की स्थापना सुनिश्चित की जाएगी। और इस फैसले को कानूनी रूप दिए जाने की भी योजना है। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा स्तर तक बच्चों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाएगा । पाठ्य-पुस्तकों में जल संरक्षण को एक विषय के रूप में पढ़ाया जायेगा । इसके लिए पूरे प्रदेश में एक विशेष प्रकार का अभियान चलाया जायेगा ।
सरकार की तैयारी है कि सभी आवासों में शत प्रतिशत रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य रूप से लगे । सभी घरों में सबमर्सिबल पम्प में रीडिंग मीटर भी लगाना सुनिश्चित किया जायेगा, जिससे यह पता चल सके कि उक्त परिवार द्वारा कितने जल का दोहन किया जा रहा है । प्रदेश सरकार विभिन्न माध्यमों से जल संचयन करेगी।
प्रदेश के जलशक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह ने हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक में कहा था, ”उत्तर प्रदेश सरकार अब ऐसे नियम बनायेगी कि चाहे कोई कालेज हो, इण्टर कालेज, प्राइवेट या सरकारी मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेज हो या कोई भी शैक्षणिक संस्था या व्यापारिक संस्थान, सभी को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा ।”
सिंह ने कहा कि मान्यता देने से पहले यह सुनिश्चित किया जायेगा कि वहां पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है या नहीं । उन्होंने कहा कि इसी तरह सभी सरकारी कार्यालयों में चाहे वह तहसील हो, थाना, जिलाधिकारी कार्यालय, मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय या अस्पताल, सभी में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य किया जायेगा। समाजसेवी चिन्तक प्रेम प्रकाश ने ‘भाषा’ से कहा, ”लगातार घट रहा भूजल स्तर अत्यंत चिन्ता का विषय है । अगर सरकार कानून बनाती है तो जागरूकता बढे़गी और लोग वर्षा जल संचयन की ओर प्रेरित भी होंगे ।
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सिंह ने कहा कि आगे अब जो भी निर्माण कराये जायेंगे, उसका नक्शा तभी पास किया जायेगा, जब वहां पर वाटर रिचार्ज सिस्टम बना होगा । भूगर्भ जल विभाग तथा विभिन्न सामाजिक, व्यापारिक, शैक्षिक तथा तकनीकी शैक्षिक संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने के संसाधनों पर जलशक्ति मंत्री ने विस्तार से चर्चा की है ।सिंह ने कहा कि ऐसा कानून बनाया जायेगा, जिसमें गंदा या प्रदूषित पानी पाइप के जरिए जमीन के नीचे पहुंचाने वाले उद्योग धंधों पर पांच से 10 लाख रूपये जुर्माना तथा पांच से सात साल की कड़ी सजा का प्रावधान हो ।
खुद जलशक्ति मंत्री का भी कहना है कि नदियों का जीर्णोद्धार कर, नदियों और तालाबों के किनारे वृक्षारोपण करके पानी को बेकार बहने से रोक कर उसका संचयन किया जायेगा । शुक्ला ने वृक्षारोपण को भी एक विकल्प मानते हुए कहा कि नदियों, पोखरों और नहरों के किनारे वृक्षारोपण कर जल संचयन किया जा सकता है ।
उन्होंने कहा, ”अब पानी को लेकर किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जायेगा । ऐसे सभी कानूनों को लागू करके अगली बारिश से पहले जल संचय, जल संवर्धन के लिए बड़ा काम प्रदेश सरकार द्वारा किया जायेगा ।” भूगर्भशास्त्री ए के शुक्ला ने कहा कि गिरते भूजल स्तर को नियंत्रित करने के लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली सबसे अच्छा विकल्प है । उन्होंने कहा कि गरीब से गरीब आदमी भी अपने घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा सके या बना सके, उसके लिए भी माडल तैयार किया जायेगा ।