जहा एक तरफ आज पुरे देश में रावण और उसके दो भाई और पुत्र का पुतला दहण होगा। वही देश के एक राज्य में रावण की विधि विधान के साथ पूजा हो रही है। उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में रावण की पूजा आराधना कर अपनी मनकामना मांगी जा रही है।विजयदशमी का त्यौहार को असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। ये मंदिर साल में एक बार ही भक्तो के लिए खुलता है।
यह मंदिर माता दुर्गा का
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कानपुर के शिवाला नगर के इस अनोखे मंदिर में बुधवार सुबह से रावण की पूजा की जा रही है। मंदिर कई वर्ष पुराना है। विजयादशमी के दिन यहां हजारों की संख्या में भक्त रावण की पूजा करते हैं। यह मंदिर माता दुर्गा का है, जहां रावण का अलग से मंदिर बनाया गया है। दशानन मंदिर के पुरोहित राम बाजपेयी ने बताया कि दशानन मंदिर केवल दशहरा वाले दिन खुलता है और रावण की पूजा होती है। शाम को पुतला जलाने के बाद हम इस मंदिर को बंद कर देते हैं।
रावण की पूजा सिर्फ विद्वता के कारण
उन्होंने बताया कि रावण की पूजा सिर्फ विद्वता के कारण होती है। हम उनके ज्ञान की पूजा करते हैं। मान्यता है कि दशानन मंदिर में दशहरे के दिन लंकाधिराज रावण की आरती के समय नीलकंठ के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलते हैं। महिलाएं दशानन की प्रतिमा के करीब सरसों के तेल का दीया और तरोई के फूल अर्पित कर सुख समृद्धि, पुत्र और परिवार के लिए ज्ञान व शक्ति की कामना करती हैं।