इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ताजमहल में बंद पड़े 22 कमरों को खोलने वाली याचिका को आज खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने की मांग का क्या तुक है? उन्होंने कड़ाई से सवाल करते हुए भाजपा युवा मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह (याचिकाकर्ता) से पूछा इस कमेटी की सहायता से आप क्या जानना चाहते हैं? कोर्ट के मुताबिक यह याचिका समुचित और न्यायिक मुद्दों पर आधारित नहीं है, इस मामले में जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप कौन से जजमेंट दिखा रहे हैं? दरअसल भाजपा नेता ने हाई कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट पेश किये थे जिसमें अनुच्छेद 19 के तहत बुनियादी अधिकारों और खासकर उपासना, पूजा और धार्मिक मान्यता की आजादी के बारे में बात की गई है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिका को किया खारिज
इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता की दलीलों से सहमत नहीं हैं, यह याचिका न्यायिक मुद्दों पर आधारित नहीं है इस्ल्ये इस याचिका को किया खारिज किया जाता है। बता दें कि इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फटकार लगते हुए पूछा था कि “क्या आप मानते हैं ताज महल को मुगल बादशाह शाहजहां ने नहीं बनवाया है? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनवाया या ताजमहल की उम्र क्या है? कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको किसी मुद्दे पर पूरी जानकारी ना हो तो उस टॉपिक पर रिसर्च कीजिए, जाइए एमए कीजिए, पीएचडी कीजिए, कोर्ट ने कहा कि अगर कोई आपको रिसर्च ना करने दे तो हमारे पास आइए!
जानें कहां से शुरू हुआ ताजमहल Vs तेजोमहल का विवाद
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष भाजपा युवा मीडिया प्रभारी रजनीश सिंह द्वारा याचिका दायर की गई थी, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को ताजमहल में 22 बंद दरवाजों की जांच के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि पुष्टि की जा सके की ताजमहल में हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमा है या नहीं? ताजमहल एक हिंदू मंदिर (तेजोमहल) है या नहीं? बता दें कि ताज महल मुगल युग का स्मारक है जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है। ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज के मकबरे रूप में बनवाया था। संगमरमर के स्मारक का निर्माण 1632 में शुरू हुआ और 1653 में पूरा होने में 22 साल लगे।