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मैनपुरी संसदीय सीट पर सपा से मुलायम का वारिस कौन ? यादव परिवार से कौन संभालेंगा कमान

धरतीपुत्र मुलायम सिंह के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर सभी दलों की निगाह टिकने लगी हैं , इसको लेकर सपा के रूख को भी सियासी दल ध्यान में रख रहे हैं।

धरतीपुत्र मुलायम सिंह के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी लोकसभा सीट पर सभी दलों की निगाह टिकने लगी हैं , इसको लेकर सपा के रूख को भी सियासी दल ध्यान में रख रहे हैं।  मुलायम परिवार को मैनपुरी संसदीय सीट पर जीत का वृहदस्त हासिल हैं। सपा मैनपुरी का ऐसा इकलौता गढ़ रहा है , जो किसी सियासी दल की आंधी -तूफान में डगमगाया नहीं हैं। पिता के निधन के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर मैनपुरी लोकसभा सीट सपा का परचम बनाए रखने की चुनौती है। परिवार में मची सियासी फूट के कारण अखिलेश यादव भी काफी असमंजस में नजर आ रहे हैं, लेकिन मुलायम सिंह के निधन पर परिवार के सभी सदस्य एकजुट नजर आए। शिवपाल यादव मैनपुरी मे लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं।  2019 के लोकसभा चुनाव में शिवपाल यादव नेताजी के चलते ऐसा नहीं कर पाए। अखिलेश यादव शिवपाल को छोड़कर किसी भी व्यक्ति को मैनपुरी से चुनाव लड़ा सकते हैं। अगर शिवपाल यादव को पार्टी टिकट नहीं देती हैं तो वह सपा के लिए मैनपुरी में मुसीबत बनकर खड़े हो सकते हैं , शिवपाल यादव नेताजी के भाई होने के नाते उनकी राजनीतिक विरासत पर अपना हक पाने के लिए कतई भी गुरेज नहीं करेंगे। 
धर्मेंद्र यादव रेस में सबसे आगे  
परिवार मे अखिलेश यादव के सबसे करीब नेता धर्मेंद्र यादव भी मैनपुरी लोकसभा चुनाव में ताल ठोक सकते हैं , क्योंकि यादव परिवार में धर्मेंद्र यादव उनके सबसे करीबी व्यक्तियों में गिने जाते हैं । धर्मेंद्र यादव पूर्व में भी मैनपुरी से चुनाव जीतकर लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं । मुलायम की सियासी विरासत को संभालने के लिए अखिलेश यादव परिवार खुद भी मैदान में उतर सकते हैं । अगर स्थितिवश अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ते तो धर्मेंद्र, तेज प्रताप और डिंपल यादव, तीन ही नाम दिखाई दे रहे हैं।
लखनऊ छोड़कर दिल्ली जाना नहीं चाहते हैं अखिलेश यादव 
प्रदेश सरकार से मिलने वाली चुनौतिया से अखिलेश यादव खुद निपटकर फिर से प्रदेश में स्थापित होना चाहते हैं , इसके लिए उन्होनें विधानसभा चुनाव में सपा को काफी बढ़ता भी दिलाई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए अखिलेश यादव लखनऊ छोड़कर दिल्ली नहीं जाना चाहते हैं। सत्तारूढ दल बीजेपी को अखिलेश यादव ने काफी हद तक चुनौती भी दी हैं। इसलिए परिवार के ही किसी सदस्य को दिल्ली भेजना चाहते हैं । 

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