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यूपी विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने के लिए BSP लेगी भाजपा का सहारा? सतीशचंद्र मिश्रा ने दिया जवाब

उत्तर प्रदेश विधानसभा के आगामी चुनाव में पूर्ण बहुमत मिलने और बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनने का दावा करते हुये पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनाव पश्चात गठबंधन करने की ‘‘200 प्रतिशत’’ भी संभावना नहीं है।”

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है, ऐसे में प्रदेश की सत्ता से काफी समय से दूर चल रही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को आगामी चुनावों में बहुमत मिलेगा या नहीं। अगर नहीं मिलता है तो क्या बसपा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन करेगी?  उत्तर प्रदेश विधानसभा के आगामी चुनाव में पूर्ण बहुमत मिलने और बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनने का दावा करते हुये पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा भारतीय जनता पार्टी के साथ चुनाव पश्चात गठबंधन करने की ‘‘200 प्रतिशत’’ भी संभावना नहीं है।” 
उधर, बसपा प्रमुख के विश्वस्त समझे जाने वाले मिश्रा ने कहा कि बसपा किसी अन्य पार्टी के साथ भी गठबंधन नहीं करेगी। उनसे सवाल किया गया कि अगर किसी कारण से बसपा को विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नही मिलता हैं तो वह क्या गठबंधन के लिये किस पार्टी से हाथ मिलायेंगे या किसी पार्टी को समर्थन् देंगे, इस पर उन्होंने कहा कि ” आपका यह सवाल ही बेमानी हैं, बसपा पूर्ण बहुमत से 2022 में सरकार बना रही हैं, अगर ऐसी कोई नौबत आयी तो हम 200 प्रतिशत भारतीय जनता पार्टी के साथ कभी नही जायेंगे और अन्य किसी पार्टी से भी गठबंधन नही करेंगे और न ही समर्थन लेंगे। हम विपक्ष में बैठना ज्यादा पसंद करेंगे।”

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बसपा के वरिष्ठ नेता का यह दावा इस तरह की अवधारणाओं के बीच आया है कि यदि 2022 के चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा के हालात बने तो बसपा भाजपा के साथ हाथ मिला सकती है। विगत में बसपा ने अलग अलग कार्यकाल में भाजपा और समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनायी थी। बसपा ने 1993 में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। 1995 में बसपा सरकार से हट गयी और कुछ महीने बाद भाजपा के समर्थन से मायावती फिर मुख्यमंत्री बनी। 
इसके बाद 1997 और 2002 में भी बसपा ने भाजपा के साथ गठजोड़ कर सरकार बनायी। पार्टी ने 2007 में दलित-ब्राह्मण समुदाय के समर्थन पर अपने बूते पर पहली बार सरकार बनायी। उसे 403 सदस्यीय विधानसभा में 206 सीटें मिलीं। पार्टी इस बार भी राज्य के विभिन्न स्थानों पर ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित करवा कर अपनी पुरानी सफलता को दोहराने के प्रयास में जुटी है। राज्य में दलितों की अनुमानित 20 प्रतिशत आबादी है जबकि ब्राह्मणों की आबादी करीब 13 प्रतिशत बतायी जाती है।
मिश्रा ने ब्राह्मण सम्मेलनों को लेकर भाजपा और सपा पर तंज कसते हुये कहा, ” जब बसपा ने प्रबुद्ध विचार गोष्ठी आयोजित कर समाप्त कर दी तो भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी को प्रबुद्ध समाज विशेषकर ब्राह्मणों की याद आयी और इन दोनो पार्टियों ने भी ऐसे सम्मेलन आयोजित करने की घोषणा कर दी। जल्दी ही देखियेगा कि जो बाकी बचे हुये दल हैं वह भी ऐसे सम्मेलनों की घोषणा करेंगे।”
मिश्रा ने दावा किया कि 2022 के उप्र विधानसभा के आम चुनाव में राज्य के 80 प्रतिशत ब्राह्मण, सौ प्रतिशत दलित और भारी संख्या में मुसलमान और पिछड़ा वर्ग उनकी पार्टी को वोट देंगे और मायावती के नेतृत्व में पांचवी बार प्रदेश में सरकार बनायेंगे। बसपा महासचिव मिश्रा ने बिना किसी पार्टी का नाम लिये कहा कि ”यह जो दूसरे प्रदेशों के नेता यहां आकर मुस्लिम समाज को बरगलाने का काम कर रहे हैं, वह कामयाब नही हो पायेंगे, क्योंकि प्रदेश का मुसलमान जानता हैं कि कौन उनका अपना हैं और कौन पराया । फिर मुसलमान बहन जी के शासन को देख चुका हैं।”
मिश्रा का इशारा ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुदीन ओवैसी की तरफ था जो उप्र विधानसभा चुनाव में 100 सीटें लड़ने की घोषणा कर चुके हैं और उन्होंने अपने चुनावी अभियान की शुरूआत भी कर दी है। बसपा नेता ने राज्य में छोटे छोटे राजनीतिक दलों के बारे में कहा कि ”यह छोटे छोटे दल भाजपा द्वारा प्रायोजित हैं और चुनाव के समय एक दम से खड़े हो जाते हैं अपनी जाति बिरादरी का वोट काटने के लिये लेकिन इसका कोई असर नही पड़ने वाला।”
मिश्रा से पूछा गया कि क्या अभी हाल में निकाले गये पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की घर वापसी हो सकती हैं तो उन्होंने कहा कि ”पार्टी से धोखा और साजिश करने वालों के लिए यहां कोई जगह नहीं हैं। दूसरी पार्टियों के नेता अगर बहुजन समाज पार्टी में आना चाहें तो उनका स्वागत हैं।” बहुजन समाज पार्टी द्वारा जुलाई माह में विधानसभा में पार्टी के नेता लाल जी वर्मा और वरिष्ठ नेता राम अचल राजभर को पार्टी से निकाल दिया था।

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