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योगी आदित्यनाथ ने कहा- शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ महान सिद्ध योगी एवं विद्वान मनीषी थे

आमजन के आध्यात्मिक उन्नयन के उद्देश्य से गुरु गोरखनाथ जी ने संस्कृत और लोकभाषा में योगपरक साहित्य का सृजन किया था।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ एक महान सिद्ध योगी एवं विद्वान मनीषी थे। मुख्यमंत्री गुरुवार को यहां उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान में युग प्रवर्तक महायोगी गोरखनाथ पर केन्द्रित त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि योग साधना और तपस्या में तत्पर होकर उन्होंने जनमानस में योग ज्ञान के प्रति प्रगाढ़ अभिरुचि उत्पन्न की थी। आमजन के आध्यात्मिक उन्नयन के उद्देश्य से गुरु गोरखनाथ जी ने संस्कृत और लोकभाषा में योगपरक साहित्य का सृजन किया था। 
उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए महायोगी गोरखनाथ ने योग को आवश्यक बताया था। उन्होंने कहा कि योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। तन-मन को स्वस्थ रखने एवं सुखानुभूति के साथ जीवन-यापन का ‘योग’ अमोघ मंत्र है। स्वस्थ जीवन के लिए शुद्धि अत्यन्त आवश्यक है। यह शुद्धि आन्तरिक एवं वाह्यू दोनों होनी चाहिए। शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ एक महान सिद्ध पुरुष होने के साथ-साथ समाज सुधारक भी थे। उन्होंने सदैव सामाजिक कुरीतियों और धार्मिक आडम्बरों का विरोध किया था। 
श्री योगी ने इस अवसर पर सुश्री शची मिश्र की ‘भोजपुरी के संस्कार गीत’, डॉ0 कृष्णचन्द, लाल की ‘देवेन्द, कुमार बंगाली’, डॉ0 ओम प्रकाश पाण्डेय की ‘वैदिक वांग्मय का परिशीलन’, डॉ0 कन्हैया सिंह की ‘रामचरित उपाध्याय ग्रंथावली’ तथा डॉ0 रामकृष्ण की ‘अथातो भक्ति जिज्ञासा’ पुस्तकों का विमोचन भी किया। 
उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की ऐसी कोई भाषा नहीं, जिसमें गोरखनाथ जी से सम्बन्धित कथाएं न पायी जाती हों। महायोगी गोरखनाथ भोजपुरी एवं हिन्दी (खड़ बोली) के आदि कवि हैं। हिन्दी भाषा और उसकी उत्पत्ति में गुरु गोरखनाथ की रचनाओं का स्थान सर्वप्रमुख है। उनके द्वारा रचित गोरक्षकल्प, गोरक्षसंहिता, गोरक्षशतक, गोरक्षगीता, योगमार्तण्ड आदि कृतियां हमारे साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महायोगी गोरखनाथ भारतीय धर्मसाधना एवं साहित्य के अप्रतिम व्यक्तित्व हैं। उनके द्वारा प्रवर्तित एवं संघटित ‘नाथ-सम्प्रदाय’ का हिन्दूकुश एवं हिमालय की गोद में समुद, पर्यन्त बसे भारत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश के साथ-साथ चीन, मंगोलिया, तिब्बत, जापान एवं पूर्वी द्वीप समूह में व्यापक प्रभाव रहा है। अपने युग में एक व्यापक सामाजिक-आध्यात्मिक एवं धार्मिक क्रान्ति को जन्म देने वाले महायोगी गोरखनाथ ने लोक-कल्याण का शाश्वत मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा महायोगी गुरु गोरखनाथ जैसी दिव्य विभूति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाना अत्यन्त सराहनीय है। 
उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ के अभ्युदय की समकालीन परिस्थितियों तथा सामाजिक, धार्मिक व आध्यात्मिक परिवर्तन में गोरखनाथ की अद्वितीय भूमिका का समग, शोधपरक विवेचन भी युगधर्म है। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गुरु गोरखनाथ जी पर एक शोधपीठ की स्थापना की गयी है। उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ पर एक इनसाइक्लोपीडिया तैयार किया जाना आवश्यक है, जिससे वर्तमान और भावी पीढ़ उनके विषय में जान सके। 
इस मौके केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने अपने सम्बोधन में कहा कि महायोगी गोरखनाथ जी जैसे महान व्यक्तित्व पर संगोष्ठी का आयोजन किया जाना अत्यन्त प्रशंसनीय है। गुरु गोरखनाथ जी को शिव का रूप माना जाता है। प्रत्येक व्यक्ति सुख-दु:ख में शिव को याद करता है। उनके द्वारा दी गयी शिक्षाएं न सिर्फ भारत में बल्कि कई देशों में भी प्रचलित हैं, जो भारतीय ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की अवधारणा को भी सिद्ध करती है। 
श्री निशंक ने कहा कि योग के माध्यम से ही तन व मन को स्वस्थ रखा जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से योग को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। नये भारत के निर्माण व ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को साकार करने में योग का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि भारत विश्वगुरु बनने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है। 
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ0 सदानन्द प्रसाद गुप्त ने कहा कि नाथ साहित्य काफी समृद्ध साहित्य है। गुरु गोरखनाथ जी के भजन ने सूक्ति का रूप ले लिया है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 कन्हैया सिंह ने कहा कि इतिहास के शून्य समय में गुरु गोरखनाथ ने एक अलख जलायी। उन्होंने सामाजिक समरसता का समाज को जो संदेश दिया वह आज भी अत्यन्त प्रासंगिक है। 
भाषा विभाग के प्रमुख सचिव जितेन्द, कुमार ने कार्यक्रम में आये सभी लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। 
इस अवसर पर सूचना विभाग एवं हिन्दी संस्थान के निदेशक शिशिर तथा बड़ संख्या में साहित्य प्रेमी एवं शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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