उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने विधान परिषद को बताया कि राज्य में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है। सरकार ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र में बीमारी के कारण मरने वाले 22,915 रोगियों में से किसी में भी 'ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु' का कोई उल्लेख नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सदस्य दीपक सिंह को जवाब देते हुए कहा, 'राज्य में दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत की खबर नहीं है।
कांग्रेस नेता ने UP के स्वास्थ्य मंत्री से पूछा यह सवाल
एक और प्रश्न उठाते हुए, दीपक ने पूछा कि 'कई मंत्रियों ने पत्र लिखकर कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी से मौतें हो रही हैं। इसके अलावा कई सांसदों ने भी ऐसी शिकायतें की थीं। ऑक्सीजन की कमी से मौत की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। क्या पूरे राज्य में इन मौतों के बारे में सरकार के पास कोई जानकारी है। क्या सरकार ने गंगा में बहते हुए शवों और ऑक्सीजन की कमी से पीड़ित लोगों को नहीं देखा है?”
ऑक्सीजन की कमी के कारण नहीं हुई कोई मृत्यु :जय प्रताप सिंह
प्रताप ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीज की मौत की स्थिति में डॉक्टर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करता है। उन्होंने कहा कि राज्य में कोविड-19 पीड़ितों के लिए डॉक्टरों द्वारा जारी किए गए 22,915 मृत्यु प्रमाणपत्रों में कहीं भी 'ऑक्सीजन की कमी के कारण मृत्यु' का कोई उल्लेख नहीं है। मंत्री ने कहा कि महामारी के दौरान कई मौतें टर्मिनल सहित कई अन्य बीमारियों के कारण हुईं, और सरकार ने कमी होने पर अन्य राज्यों से ऑक्सीजन की व्यवस्था की थी।
सिर्फ पंजाब और अरुणाचल प्रदेश ने दिए आंकड़ें
वहीं संसद के शीतकालीन सत्र में कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई मौतों की जानकारी मांगी गई। इस पर लोकसभा में लिखित जवाब देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों की जानकारी सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने नहीं दी है। अब तक सिर्फ पंजाब और अरुणाचल प्रदेश ने ही आंकड़ें दिए हैं, मंडाविया ने बताया कि पंजाब के अमृतसर जिले में एक निजी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 4 मरीजों की मौत हुई थी।