उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार किसानों को समर्पित एक नया निकाय बनाने की तैयारी कर रही है। यह निकाय नए उद्यमी किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को फसल के बाद इंफ्रास्ट्रक्चरल मैनेजमेंट और कम्युनिटी फार्मिग एसेट्स में निवेश करने में मदद करेगा। इसके लिए अगस्त में केंद्र ने कृषि इन्फ्रास्ट्रक्च र फंड (एआईएफ) घोषित किया था। यह निकाय किसानों के लिए होगा।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, नया निकाय एक ऐसे अधिकारी की अध्यक्षता में बनेगा जिसे मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) पदनाम दिया जाएगा और उसे कृषि, बागवानी, पशुपालन, डेयरी विकास से आए प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी असिस्ट करेंगे।
उप्र सरकार एफपीओ को वर्किंग कैपिटल के रूप में बैंकों से ऋण लेने करने या खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, कोल्ड स्टोर, पैकेजिंग इकाइयां और गोदामें स्थापित करने में मदद करने के लिए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) के साथ भी समन्वय करेगी। इसके तहत हर एफपीओ को अधिकतम दो करोड़ रुपये का लोन मिल सकेगा।
कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि एफपीओ पॉलिसी, 2020 को जल्द ही मंजूरी के लिए राज्य मंत्रिमंडल में भेजा जाएगा। उन्होंने बताया, हम पहले ही मुख्यमंत्री के सामने इसका प्रजेंटेशन दे चुके हैं। अब इसे मंजूरी के लिए कैबिनेट में भेजा जाएगा। चतुर्वेदी ने कहा कि यह नीति ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगी। बता दें कि राज्य का लक्ष्य 1,000 एफपीओ स्थापित करने का है। इसके तहत प्रत्येक ब्लॉक में 300 से 500 किसानों के बीच एक एफपीओ होगा।