उत्तर प्रदेश भारत के उन राज्यों में से है जहां से भारी संख्या में लोग देश के अन्य हिस्सों में काम करने जाते है। इन प्रवासी कामगारों में बड़ा तबका श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों का है। देश में जारी लॉक डाउन की वजह से योगी सरकार के सामने उत्तर प्रदेश के ये अप्रवासी कामगार एक बड़ी चुनौती बन गए है। लॉक डाउन के चलते लाखों की संख्या में उत्तर प्रदेश के निवासी कामगार ने राज्यों में फंसे है और इन्हे राज्य में लाकर रोजगार देने के लिए योगी सरकार लम्बी अवधि की योजना पर अमल कर रही है।
देश के अन्य राज्यों में रह रहे उत्तर प्रदेश के मजदूरों को वापस लाने का काम शनिवार से शुरू हो गया और पहले चरण में 2224 श्रमिकों और कामगारों को 82 बसों की मदद से लाया गया। रविवार तक चरणबद्ध तरीके से 11 हजार लोग वापस आ जायेंगे। दूसरे राज्यों से लौट रहे 15 लाख श्रमिकों को राज्य सरकार रोजगार देगी।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के तहत राज्य सरकार स्थानीय स्तर पर 15 लाख लोगों को रोजगार देगी। ये इस राज्य के वे लोग हैं जो दूसरे राज्यों में काम करते थे लेकिन कोरोना वायरस प्रकोप के चलते हुए लॉकडाउन होने के कारण वापस लौट आए हैं या आने वाले हैं। सरकार इस संबंध में कार्ययोजना बना रही है। पंचायती राज के प्रमुख सचिव मनोज कुमार को निर्देशित किया गया है कि ग्राम प्रधानों के माध्यम से मनरेगा और गांव के विकास के कार्यों को आगे बढ़ाएं।
तबलीगी जमात के 2896 लोगों को चिन्हित करके उनकी जांच की गई है। सभी 325 विदेशी व्यक्तियों को चिकित्सकीय जांच करके उन्हें पृथक किया गया है। तबलीगी जमात के 45 विदेशी सदस्यों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है तथा 259 पासपोर्ट जब्त किये गये हैं। अपर मुख्य सचिव (गृह और सूचना) अवनीश कुमार अवस्थी ने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्य राज्यों में 14 दिन का पृथकवास पूरा कर चुके उत्तर प्रदेश के श्रमिकों और कामगारों को चरणबद्ध तरीके से वापस लाए जाने के सम्बन्ध में निर्देश दिये थे। इसी को अमल में लाते हुये शनिवार को हरियाणा राज्य से 2224 मजदूरों को 82 बसों से वापस प्रदेश लाया गया। ये मजदूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के हैं। इन लोगों को रोजगार देने के लिये प्रदेश सरकार ने विस्तृत कार्ययोजना बनायी है।
उन्होंने कहा कि कल रविवार तक दूसरे राज्यों में रह रहे 11 हजार मजदूर वापस आ जायेंगे। मजदूरों को वापस लाने का कार्यक्रम आगे भी जारी रहेगा। इन मजदूरों को 14 दिन तक पृथकवास में रखा जायेगा। इसके लिए बड़ी संख्या में आश्रयगृह तैयार किये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इनमें ‘पब्लिक एड्रेस सिस्टम’ लगाया जाए, भोजन एवं शौचालय की सुचारू व्यवस्था की जाएगी। कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने वाले चिकित्सकर्मियों ने फैले इसके लिये हर जिले में एक टीम बनाई जा रही है। अब तक प्रदेश के कोविड- 19 फंड में 268 करोड़ रुपये आ चुके हैं।
अवस्थी ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में विभिन्न राज्यों में फंसे प्रदेश के प्रवासी श्रमिकों को गृह जनपद लाने का काम चरणबद्ध तरीके से शुरू कर दिया गया है। प्रदेश में वापस लाने से पहले श्रमिकों की मेडिकल स्क्रीनिंग करायी जायेगी, जिसके बाद उन्हें उनके गृह जनपद में 14 दिन के लिए पृथकवास में रखा जायेगा। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि पृथक केंद्र तथा आश्रयगृह में हर हाल में एकदूसरे से दूरी बनाये रखने के नियम का पालन किया जाए। आश्रयगृह में पृथक रहने की अवधि पूरी करने के बाद घर पर पृथक रहने के लिए भेजे जाने वाले श्रमिकों को राशन की किट व एक हजार रुपये का भरण-पोषण भत्ता दिया जाए।’’