उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश को नई ऊंचाईयों पर लेकर जाने को लेकर प्रतिबद्ध है, ऐसे में यूपी सरकार ने बीते चार सालों में कई ऐसे नियमों को लोगों के समक्ष रखा है और उस पर अमल भी कराया है, जिनसे प्रदेश की छवि में सुधार आया है। अब एक ताजा जानकारी के अनुसार, यूपी की योगी सरकार ने जुए पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।
ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार इसको लेकर काफी गंभीर है और इसके लिए जल्द ही एक कड़ा कानून लेकर आएगी, जिसके तहत सार्वजनिक तौर पर जुआ खेलने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, राज्य विधि आयोग ने एक नए कानून के लिए मसौदा प्रस्तुत किया है, जो सार्वजनिक जुए को प्रतिबंधित करता है। इसमें ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी के विभिन्न रूप शामिल हैं, उन्हें गैर जमानती अपराधों की श्रेणी में रखने का प्रावधान किया गया है।
उत्तर प्रदेश पब्लिक गेमिंग (रोकथाम) विधेयक शीर्षक से मसौदा रिपोर्ट राज्य विधि आयोग की अध्यक्षता में तैयार की गई है, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति ए.एन. मित्तल ने की। रिपोर्ट को इस सप्ताह की शुरूआत में मुख्यमंत्री को सौंपा गया था। बिल में अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है। इस नए कानून का मसौदा ऑनलाइन जुए के तेजी से बढ़ते स्वरूप को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
सार्वजनिक जुआ अधिनियम, वर्तमान में, केवल एक साल के कारावास और 1,000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान करता है। अधिकारियों ने कहा कि ये दंडात्मक प्रावधान ऑनलाइन जुए को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। राज्य में जुआघरों और सट्टेबाजों का संचालन करने वाले कार्टेल की श्रृंखला को तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई हैं।
आयोग ने सजा को एक साल और जुमार्ने को बढ़ाकर 5,000 रुपये करने की सिफारिश की है। इसने ऑनलाइन जुआ, घर में जुआ संचालन और सट्टेबाजी को गैर जमानती अपराध बनाने की भी सिफारिश की है। पुलिस को और अधिक शक्ति देने के लिए नया कानून तैयार किया गया है।
न्यायमूर्ति ए.एन. मित्तल आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि कौशल और मौके के खेल में अंतर होता है। गेम ऑफ स्किल के तहत खेले जाने वाले कार्ड गेम दंडनीय नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि अगर कोई परिवार अपने घर में अनुष्ठान और मनोरंजन के लिए ताश खेलता है और वहां कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद नहीं है, तो यह दंडनीय नहीं होगा।