20 अक्टूबर 1962 का वो दिन जब ‘भाई-भाई’ बोल चीन ने की थी गद्दारी, पढ़े India-China War की अनोखी दास्तां

india china 1962 war
india china 1962 war
Published on

भारत कई सालों की अंग्रेजों की गुलामी के बाद आजाद हो अपने कदम पर चल ही रहा था कि पड़ोसी ने कुछ ऐसा कर दिया जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है। देश बंटवारे से उभरने की कोशिश ही कर रहा था, पाकिस्तान से रिश्ते सही नहीं चल रहे थे, पर पड़ोसी चीन से रिश्ते में सुधार आने लगे थे।

एक नारा आपको याद होगा 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' इस नारे को जवाहरलाल नेहरू ने दिया था। लेकिन 1962 की सुबह-सुबह नेहरू जी को भी ऐसा झटका लगा जिसके बारें में कोई सोच भी नहीं सकता था। चीन ने गद्दारी कर दी एक खबर मिली कि चीन ने लद्दाख के पास मशीन गन और गोला बारूद के साथ हमला कर दिया।


इस समय भारतीय सेना के पास चीनी सेना के मुकाबले अधिक क्षमता वाली गोले बारूद और बंदूके कम थे। साथ ही पहाड़ी और दुर्गम बर्फ वाले रास्ते का इलाका था, जिस कारण बॉर्डर पर सैनिक की संख्या काफी कम था। इस चीज और दोस्ती के नाम पर पीठ पर छुरा मारने वाले चीन ने विश्वासघात कर दिया।


भारत को 15 अगस्त 19467 को आजादी मिली, जिसके दो साल बाद चीन भी रिपब्लिक बन गया। एक कहानी ये भी कहती है कि भारत ने चीन के खातिर युक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता ठुकरा दी, पर साल 1959 में भारत और चीन के बीच तनाव आ गए। इसी साल चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तिब्बत के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। भारत ने तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को शरण दे दी।

इस चीज को मुद्दा बनाकर 20 अक्टूबर 1962 के दिन लड़ाई शुरू कर दी। इस हमले के 2 साल के बाद ही 27 मई 1964 को नेहरू जी इस दुनिया से चले गए। 1962 के हमले के 5 साल बाद चीनियों ने 1967 में दोबारा हमला कर दिया। पर इस बार भारतीय सैनिकों ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया।

इस बड़े हमले में तोप से हमला किया गया, करीब 400 चीनी सैनिकों की लाश का अंबार लग गया। इस समय भारतीय जवानों ने चीनियों को 20 किलोमीटर पीछे धकेल दिया। और इस हमले में हमारे 20 जवानों की शहादत हुई थी।

Related Stories

No stories found.
logo
Punjab Kesari
www.punjabkesari.com