भारत का एक ऐसा गांव जहां सिर्फ रहता हैं एक ही परिवार, नहीं हैं पक्की सड़क, कीचड़ से हो कर बच्चों को जाना पड़ता हैं स्कूल

भारत बहुत सी अलग अलग विविधताओं वाला देश हैं। यहां आप हर राज्य में कुछ अलग पाएंगे, जो आपकी सोच को पूरी तरह बदल देगा। कहीं-कहीं बहुत बड़ी संख्या में आबादी होगी तो वहीं -कहीं वीरान और उजाड़ इलाके भी दिखेंगे। इन सबके बावजूद भी ये देश बेहद ख़ास और बहुत अलग है।
भारत का एक ऐसा गांव जहां सिर्फ रहता हैं एक ही परिवार, नहीं हैं पक्की सड़क, कीचड़ से हो कर बच्चों को जाना पड़ता हैं स्कूल
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भारत बहुत सी अलग अलग विविधताओं वाला देश हैं। यहां आप हर राज्य में कुछ अलग पाएंगे, जो आपकी सोच को पूरी तरह बदल देगा। कहीं-कहीं बहुत बड़ी संख्या में आबादी होगी तो वहीं -कहीं वीरान और उजाड़ इलाके भी दिखेंगे। 
इन सबके बावजूद भी ये देश बेहद ख़ास और बहुत अलग है। आज हम भारत के एक अलग गांव (1 Family in village) के बारे में बताने जा रहे हैं। इस गांव (Assam village with no road) में एकमात्र परिवार रहता है और सड़कें नहीं हैं।
क्या हैं ये 16 लोगों वाले गांव का रहस्य 
भारत के इस गांव को बर्धनारा नंबर दो  (No 2 Bardhanara) के नाम से जाना जाता हैं। बर्धनारा नंबर-1 नामक एक और गांव भी इसी नाम का है। आपको बता दें कि ये गांव असम के नालबारी जिले में है, जहां एक परिवार रहता है। गांव में कई सालों पहले असम के एक मुख्यमंत्री ने एक सड़क बनाई थी, लेकिन आज वह टूट चुकी है और उसका यहां पर कोई भी अता-पता नहीं है। गांव को शहर से जोड़ने वाली सड़क यही थी। लेकिन अब सिर्फ कच्ची सड़कें यहां पर मौजूद हैं। 
गांव में मौजूद हैं केवल एक परिवार 
इस गांव में कई दशकों पहले बहुत से लोग रहते थे। 2011 की जनगणना में नंबर दो बर्धनारा गांव में सिर्फ 16 लोग रह गए। लेकिन आज ये आंकड़े और भी कम हो गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव में अब एक ही परिवार रहता है, जिसमें पांच लोग हैं। यहां सड़कें नहीं थीं और बारिश के दिनों में लोगों को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था, इसलिए लोग यहां से चले गए। आज भी इस गांव में रह रहे परिवार के लोगों को बारिश के दिनों में नाव की मदद से  कहीं भी आना-जाना पड़ता हैं। 
कीचड़ में चल कर जाना पडता हैं स्कूल 
बिमल डेका, परिवार का मुखिया, उनकी पत्नी अनीमा और उनके तीन बच्चे नरेन, दिपाली और सियुती इस गांव में आज के समय में रहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बिमल डेका के बच्चों ने बताया कि उन्हें कीचड़ से भरे रस्ते पर लगभग 2 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता हैं जिसके बाद जा कर वो स्कूल पहुचंते हैं। बारिश में वे सिर्फ नाव से ही चलते हैं। बिमल ने इतने मुश्किल हालातों में भी अपने तीनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दी है। नरेन और दिपाली दोनों ग्रेजुएशन कर चुके हैं और वहीं सियुती 12वीं क्लास में पढ़ती हैं। उनका कहना है कि गांव पंचायत और नगर निगम उस क्षेत्र को ही नहीं देखते। इससे गांव की स्थिति बदतर हो गई है। कुछ सालों पहले बिष्णुराम मेधी ने सड़क का उद्घाटन किया था लेकिन अब उस सड़क की हालत भी बहुत ज्यादा ख़राब हो चुकी हैं। 

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