कुंवारे लड़कों से ये देश वसूलता है भारी-भरकम ‘बैचलर टैक्स’!

कुंवारे लड़कों से ये देश वसूलता है भारी-भरकम ‘बैचलर टैक्स’!
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Bachelor's Tax: 23 जुलाई को मोदी सरकार 3.0 का आम बजट पेश किया गया। इस बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने न्यू टैक्स स्लैब की घोषण की। जिसके तहत 0-3 लाख रुपये सालाना की इनकम वालो को कोई टैक्स नहीं देना होगा जबकि 3 से 7 लाख रुपये तक की सालाना आय(Bachelor's Tax)  वालों को 5 फीसदी टैक्स भरना पड़ सकता है और अगर 10 से 12 लाख रुपये तक आय है तो उसपर 15 फीसदी टैक्स लगेगा और अगर 15 लाख से ऊपर की सालाना आय है तो 30 फीसदी टैक्स देना होगा।

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक देश ऐसा भी है जहां कुंवारे लड़कों को टैक्स भरना पड़ता है? ये सुनने में काफी अजीब लग सकता है लेकिन इस टैक्स को 'बैचलर टैक्स' कहा जाता है और अमेरिका के एक राज्य में कई सालों से चला आ रहा है।

अमेरिका ये राज्य लेता है टैक्स

Bachelor's Tax: कई लोगों को आपने ये कहते हुए सुना होगा कि हम शादी नहीं करेंगे और पूरी उम्र कुंवारे रहेंगे। सभी लोगों का अपना नजरियां है, किसी को शादी करके एक विवाहित जीवन में रहकर खुशी मिलती है तो कोई इंसान जिम्मेदारियों से बचते हुए शादी न करने का फैसला लेता है और अपनी जिंदगी (Bachelor's Tax)  को अपने हिसाब से जीना पसंद करते हैं। लेकिन अमेरिका के एक राज्य में अविवाहित होना यानी सरकार को टैक्स देना होता है।

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बता दें कि ये अजीबोगरीब टैक्स मिसौरी राज्य में पहली बार आज से 203 साल पहले यानी साल 1820 में लगाया गया था और तब से ये चला आ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 21 साल से 50 साल की उम्र के बीच वाले अविवाहित लोगों (Bachelor's Tax) को हर साल एक डॉलर यानी करीब 83 रुपये टैक्स के रूप में भरने पड़ते हैं।

कुंवारे लड़कों से टैक्स वसूलने का ये रूल जर्मनी से लेकर इटली और साउथ अफ्रीका जैसे देशों में भी लागू हुआ था। लेकिन इनमें से कई देशों में ये टैक्स सेवा समाप्त हो गई है। ऐसे अजीबोगरीब टैक्स की लिस्ट लंबी है, जो पहले लोगों पर लगाए जा चुके हैं लेकिन उन्हें अब खत्म कर दिया गया है।

अजीबोगरीब टैक्स में ये भी शामिल

एक अजीबोगरीब टैक्स अमेरिका के मैरीलैंड में भी लगा है जो टॉयलेट फ्लश से जुड़ा है। यहां लोगों से हर महीने 5 डॉलर यानी करीब 418 रुपये टॉयलेट फ्लशिंग टैक्स के रूप में वसूला (Bachelor's Tax) जाता है। ऐसा करने का कारण पानी की खपत पर नियंत्रण करना है। वहीं, इन पैसों को इस्तेमाल सीवेज प्रणाली के सुधार और विकास के कामों में किया जाता है।

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