मालूम हो, चांद पर 14 दिन रात और 14 दिन उजाला रहता है। ऐसे में जब वहां अंधेरा होता है तो सोलर विंड की बौछार होती है। इस दौरान प्रोटॉन जैसे हाई एनर्जी पार्टिकल्स सौर हवाओं के साथ चांद की सतह पर बिखर जाते है, ये चांद पर पानी बनाने का प्राथमिक तरीका है। वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के पृथ्वी के मैग्नेटोटेल से गुजरने के दौरान वहां के मौसम में होने वाले बदलावों की स्टडी की है। बता दें, मैग्नेटोटेल एक ऐसा क्षेत्र है जो चंद्रमा को सौर हवा से लगभग पूरी तरह से बचाता है, लेकिन सूर्य के प्रकाश फोटॉन से नहीं। वहीं मैग्नेटोटेल में इलेक्ट्रॉन वाली प्लाज्मा शीट होती है। मालूम हो, इस शीट में मौजूद ऑक्सिजन के कारण ही चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में लोहे को जंग लग रही है।