दुनिया के इस देश में होते है सबसे कम ट्रेन हादसे, टेक्नॉलॉजी की तारिफ करते है लोग

दुनिया के इस देश में होते है सबसे कम ट्रेन हादसे, टेक्नॉलॉजी की तारिफ करते है लोग
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रविवार को आंध्र प्रदेश के विजयनगरम में हुई दो ट्रेनों की टक्कर में 14 यात्रियों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। ये साल का पहला मामला नहीं है जब ट्रेन हादसा हुआ हो। इससे कुछ ही दिनों पहले बक्सर में भी ट्रेन हादसा हुआ था, जहां 4 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी जबकि कई लोग घायल हुए थे।

जबकि इससे पहले ओडिशा के बालासोर जिले में हुए ट्रेन हादसे में कई लोगों की मौत हो गई थी जबकि सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए थे। इस हादसे ने भारत के साथ ही दुनिया का झकझोर कर रख दिया था। पिछले 10 सालों में भारत में 697 ट्रेन एक्सीडेंट हुए है। हालांकि इन 10 सालों में देखा जाए तो रेल हादसे कम हुए है।

इसकी कई वजह है जैसे- भारतीय रेलवे ने ट्रेनों को कई मामले में अपडेट किया जिससे दुर्घटना के मामले घटे हैं। लेकिन इतने बड़े स्तर पर हुए हादसे आज भी कई सवाल खड़े करते है। हालांकि हादसों की दुनिया में सुरक्षित ट्रेनों की बात की जाए तो पहला नम्बर जापान का आता है का जाता है  जापान में आखिरी बार ट्रेन हादसा 1964 में हुआ था। इसके बाद देसी दुर्घटनाएं हुई तो है लेकिन इतना बड़ा ट्रेन हादसा नहीं हुआ। आइए जानते है कि जापान की रेल और इसके सिस्टम में ऐसा क्या है कि यहां दुर्घटनाएं नहीं होतीं।

एडवांस टेक्नोलॉजी का होना

बता दें, जापान की ट्रेनों को तकनीक फ्रेंडली बनाया गया है। इसमें एडवांस ब्रेकिंग सिस्टम हैं जो चंद सेकंड्स में ट्रेनों को रोकने का काम करता है। एडवाइंस कम्प्यूटराइज्ड मॉनिटरिंग सिस्टम ट्रेन पर नजर रखने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें एडवांस्ड सिग्नल सिस्टम, कंट्रोल सिस्टम और ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम हैं। इससे ट्रेन को सुरक्षित रखने और हादसों का ग्राफ घटाने में मदद मिलती हैं।

भूकंपरोधी सिस्टम इंस्टॉल होना

जापान का रेलवे के कम हादसे होने की एक वजह सीसमोग्राफ सिस्टम भी है। बता दें, रेवले लाइन पर अलग-अलग लोकेशंस पर लगे सीसमोग्राफ सिस्टम भूकंप आने पर इसकी तरंगों को रीड कर लेता है और भूकंप के केंद्र की अनुमानित लोकेशन पता कर लेता है। जिसके बाद सिस्टम अलर्ट हो जाता है और इसके बाद ये ट्रेन की पावर को कट कर देता है। इस तरह ट्रेन रुक जाती है और नुकसान होने का खतरा कम हो जाता है।

मेंटीनेंस और जांच में सख्ती

जापान में मेंटीनेंस को लेकर हमेशा ही सख्ती बरती जाती है। मेंटीनेंस का स्तर कैसा रहा, इसकी जांच की जाती है। इस दौरान रेलवे के विशेषज्ञों के जरिए तैयार मैन्युअल से तुलना की जाती है। नतीजा, पता चल पाता है कि ट्रेन के सभी सिस्टम कैसे चल रहे हैं और उसमें कितना बदलाव की जरूरत है।

एक्सपर्ट टीम

जापान के रेलवे में हाइली स्किल्ड विशेषज्ञों की टीम होती है। ये विशेषज्ञ इमरजेंसी की स्थिति को संभालने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। समय-समय पर ये सेफ्टी को लेकर रिपोर्ट भी देते हैं।

ट्रेन का लाइटवेट होना

एक रिपोर्ट के मुताबिक इन ट्रेनों का वजन दूसरे देशों के मुकाबले कम है। नतीजा, इन्हें चलने के लिए कम एनर्जी की जरूरत होती है। इसके कारण ट्रैक का मेंटीनेंस कराने की जरूरत कम पड़ती है। इसके अलावा भी इसे समय-समय पर अपग्रेड किया जाता है ताकि ये तकनीक के साथ तालमेल बिठा सकें।

सेफ्टी कल्चर पर फोकस

जापान में हमेशा से ही सेफ्टी कल्चर को लेकर फोकस किया गया है। खास बात है कि यहां पर रेलवे और कर्मचारी तो सेफ्टी गाइडलाइन का पालन करते हैं, साथ ही यात्री भी उसे सख्ती से मानते हैं। इसलिए दुर्घटनाओं का खतरा और भी कम रहता है।

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