इस जनजाति के अपने अजीब नियम-कानून, पानी के बजाय धुएं से है नहाते, खाने के साथ मेहमानों को देते है घर की औरतें
आजकल दुनिया में बहुत कुछ बदल गया है। हर जगह आपको ऊंची-ऊंची इमारतें और बहुत कुछ देखने को मिल जाएगा। लेकिन इस प्रगति के पीछे कई अन्य चेहरे भी छुपे हुए हैं। ऐसी अनेक जनजातियाँ हैं जो आज भी अपनी दैनिक गतिविधियाँ उसी प्रकार करती हैं जैसे स्टोन ऐज के दौरान लोग किया करते थे। इन जनजातियों के रीति-रिवाज और कानून आज भी बहुत पुराने ख्यालात वाले हैं। कई व्यक्ति उनकी आदतों के कारण उन्हें जानवर तक कहते हैं। लेकिन अगर देखा जाये तो ये जनजातियाँ अपने रीति-रिवाजों का पालन करना जारी रख रही हैं। आज हम एक ऐसी अनोखी जनजाति के बारे में बात करेंगे जो आज भी अपने पुराने रीति-रिवाजों का पालन कर रही है।
क्या है Himba tribe की खासियत?
हम हिम्बा जनजाति (Himba tribe) की बात कर रहे हैं। वर्तमान में इस जनजाति के 50,000 सदस्य अस्तित्व में हैं। हालाँकि, यह जनजाति आज भी कुछ परंपराओं का पालन करती है जो आपको हैरान कर देगी। इस जनजाति में नहाना बिल्कुल मना है। यह जनजाति 50,000 से अधिक की आबादी के साथ नामीबिया में रहती है। लेकिन वे आज भी उसी तरह व्यवहार करते हैं जैसे सदियों पहले किया करते थे। देश और दुनिया की तरक्की का और विकसित होने का उन पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। इस जनजाति में एक अनोखी बात और हैं ये बाहर से आने वाले मेहमानों को खाने के साथ घर की महिलाएं भी परोसते है।
अजीब है इनके नियम-कानून
हिम्बा जनजाति के सदस्य अपने स्वयं के कानूनों और नियमों का पालन करते हैं। अन्य मायनों में यह जनजाति बिल्कुल नार्मल ही लगती है। ठीक उसी तरह जैसे इस जनजाति के सदस्य अपना पूरा दिन भोजन की तलाश में बिताते हैं। अपने दोस्तों को उनके घर बनाने में सहायता करें। साथ ही वह खेती का काम भी करते हैं। हालाँकि, कुछ नियम हैं जो उन्हें एक अजीब रूप देते हैं। इस जनजाति में नहाने की इजाजत नहीं है। जी हां, ये लोग नहाने के लिए पानी की जगह धुएं का इस्तेमाल करते हैं। इसको स्मोक बाथिंग भी कहते है।
खाने के साथ परोसते है घर की महिलाएं
इस ट्राइब की एक और अपनी अलग और अजीब प्रथा है। इस जनजाति के लोग अपने घर आने वाले मेहमानों को अपने घर की महिलाओं के साथ उसी तरह से पेश करते हैं जैसे हम अपने घर पर आने वाले मेहमानों को चाय, नाश्ता और खाना देते हैं। इसके लिए उनके घर में एक खास कमरा भी मौजूद होता है। महिला का पति खुद अपनी पत्नी को इस काम के लिए भेजता है। अपने रिश्ते में ईर्ष्या से छुटकारा पाने के लिए वो लोग ये काम करते है। इनमें से अधिकतर लोग कृषि और पशुपालन का काम करते हैं। जनजाति में महिलाओं की कोई आवाज नहीं होती और घर के पुरुष ही सारे फैसले लेते हैं।