Live In Relationship: लिव इन रिलेशनशिप को लेकर लोगों में अलग-अलग भावनाएं हैं। कोई इसे सही तो कोई गलत कहता है। भारत में इसको लेकर कानून क्या कहता है आईए जानते हैं।
वीडियो पर लिव इन रिलेशनशिप को एक सामाजिक सांस्कृतिक बदलाव की नजर से देखा जाता है जिसने भारतीय समाज में नए रिश्तों की दृष्टि को परिवर्तित किया है। विभिन्न कर्म से हुई पश्चिम देशों तो प्रभाव विश्व में शामिल था। कैसे यह भारतीय समाज का एक हिस्सा बन गई ?
Live In Relationship: भारत में लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मंजूरी 1978 में मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने बद्री प्रसाद बनाम डायरेक्टर आफ काउंसलिंग स्टेशन केस में पहली बार लिव इन रिलेशनशिप को वैध माना। इसके बाद 2010 में महिलाओं की सुरक्षा पर चर्चा करते हुए लिव इन रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दे दी गई। कोर्ट ने कहा कि जो महिलाएं लिव इन रिलेशनशिप में है। वह घरेलू हीनता कानून के तहत संरक्षित हैं।
आसान शब्दों में कहे तो दो प्रेमी अपनी मर्जी से बिना शादी की एक छत के नीचे एक साथ रह सकते हैं। जहां तक रही बात लिव इन रिलेशनशिप की शुरुआत की तो इसके बारे में खास डाटा नहीं मिलता है कि इसकी शुरुआत कब और कहां से हुई थी
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