मोती की खेती कैसे होती है?

Khushi Srivastava

मोती की खेती के लिए साफ और शांत पानी वाले तालाब, झीलें या समुद्री फार्म अच्छ माने जाते हैं। पानी की क्वालिटी और तापमान का ध्यान रखना जरूरी है

मोती के लिए खास सीप (ऑयस्टर या मसल) की प्रजातियों का चयन किया जाता है, जो मोती को विकसित करने के लिए सक्षम हों

सीपों को पानी में सही स्थिति में रखा जाता है, जिससे वे अच्छे से विकसित हो सकें। इन्हें नियमित रूप से साफ और स्वस्थ रखना आवश्यक है

मोती बनाने के लिए सीप के अंदर एक छोटे से क्यूब या रत्न को इम्प्लांट किया जाता है, जिससे मोती का निर्माण शुरू होता है

सीपों को नियमित रूप से देखा जाता है ताकि उनकी सेहत और विकास पर निगरानी रखी जा सके। पानी की क्वालिटी और तापमान की जांच की जाती है

सीप के अंदर इम्प्लांट किए गए क्यूब के चारों ओर मोती का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया महीनों से लेकर वर्षों तक चल सकती है, जिसमें मोती का आकार और उसकी क्वालिटी बढ़ती जाती है

जब मोती पूरी तरह से विकसित हो जाती हैं, तो सीप को खोलकर मोती को निकाला जाता है। यह आमतौर पर 1-3 साल में किया जाता है, प्रजाति पर निर्भर करता है

निकाले गए मोती को साफ किया जाता है और उनके आकार, रंग और क्वालिटी के आधार पर इन्हें अलग-अलग कैटेगरी में रखा जाता है। फिर इन्हें आभूषण बनाने या बिक्री के लिए तैयार किया जाता है

इस जगह को कहा जाता है “कुत्तों का सुसाइड प्वाइंट”

Next Story