जान लें चांदीपुरा वायरस का इलाज
Khushi Srivastava
चांदीपुरा वायरस की खोज साल 1965 में की गई थी
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पहली बार चांदीपुरा वायरस नागपुर में पाया गया था
ये वायरस मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी की लार से फैलता है
चांदीपुरा वायरस सैंड फ्लाई और मच्छर के काटने से भी फैलता है
ये वायरस सबसे ज्यादा बच्चों को अपनी चपेट में लेता है
14 साल तक के बच्चों को इस वायरस का खतरा सबसे ज्यादा रहता है
कमजोरी, बेहोशी, उल्टी-दस्त और तेज बुखार इसके लक्षण हैं
इस वायरस का फिलहाल कोई एंटीवायरस ट्रीटमेंट नहीं है
मरीज के लक्षणों के हिसाब से इसका इलाज किया जाता है