“ज़िंदगी तू कब तलक…” पढ़िए मुनव्वर राना के बेहतरीन शेर

Khushi Srivastava

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए, इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए

बरसों से इस मकान में रहते हैं चंद लोग, इक दूसरे के साथ वफ़ा के बग़ैर भी

एक क़िस्से की तरह वो तो मुझे भूल गया, इक कहानी की तरह वो है मगर याद मुझे

भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है, मोहब्बत करने वाला इस लिए बरबाद रहता है

हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं, जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं

अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है, जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई, मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई

मुख़्तसर होते हुए भी ज़िंदगी बढ़ जाएगी, माँ की आँखें चूम लीजे रौशनी बढ़ जाएगी

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