Lifestyle
By Pratibha
Jan ,11, 2024
फ़िराक़ गोरखपुरी एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें.. और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं..!!
कैफ़ी आज़मी झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं.. दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं..!!
जिगर मुरादाबादी ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे.. इक आग का दरिया है और डूब के जाना है..!!
अकबर इलाहाबादी इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद.. अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता..!!
फ़िराक़ गोरखपुरी कोई समझे तो एक बात कहूँ.. इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं..!!
अनवर शऊर अच्छा खासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ.. अब मैं अक्सर में नहीं रहता तुम हो जाता हूँ..!!