वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया विधेयक पेश किया है जिसके तहत देश में आने वाले वैध आव्रजकों की संख्या में अभूतपूर्व गिरावट आएगी और इससे मेरिट आधारित वीजा प्रणाली लागू किया जा सकेगा। इससे भारत जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त और तकनीकी पेशेवरों को लाभ होगा। रिफॉर्मिंग अमेरिकन इमिग्रेशन फॉर स्ट्रॉंग इम्पलॉयमेंट (आरएआईएसई) विधयेक अमेरिका में प्रवेश के लिए मौजूदा लॉटरी प्रणाली को खत्म करेगा और ग्रीन कार्ड पाने के लिए प्वाइंट आधारित प्रणाली लायेगा।
इस प्रणाली के तहत अंग्रेजी भाषा बोलने, शिक्षा, ज्यादा वेतन देने वाली नौकरी का ऑफर और उम्र सभी का ख्याल रखा जाएगा। यदि संसद में इसे पारित कर कानून का रूप दे दिया तो इससे उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों और भारत जैसे देश से आने वाले तकनीकी पेशेवरों को लाभ होगा। आरएआईएसई कानून के प्रति अपने समर्थन की घोषणा करने के लिए व्हाइट हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा, ”आरएआईएसई कानून गरीबी कम करेगा, वेतन बढ़ाएगा और करदाताओं के अरबों-अरबों डॉलर की बचत करेगा। यह दूसरे देशों के लोगों को मिलने वाले ग्रीन कार्ड और नागरिकता में बदलाव करके ऐसा करेगा।
इसी से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में अमेरिका की एक राष्ट्रीय दक्षिण एशियाई नागरिक अधिकार संगठन साउथ एशियन अमेरिकंस लीडिंग टूगेदर ने कल कहा कि अगर कांग्रेस आरएआईएसई अधिनियम को पारित कर देता है और हस्ताक्षर के बाद इसे कानूनी रूप दे दिया जाता है तो इससे उन प्रवासियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आयेगी जो ग्रीन कार्ड एवं अन्य वीजा हासिल कर सकते हैं।
इससे पहले ही साल में अमेरिका में प्रवासियों की मान्य संख्या में 40 प्रतिशत और एक दशक से अधिक समय तक 50 प्रतिशत तक की कमी आ जायेगी। एसएएएलटी ने एक बयान में कहा कि सीनेटर टॉम कॉटन एवं डेविड परड्यू द्वारा पेश आरएआईएसई अधिनियम से मुस्लिम प्रतिबंध की तरह ही परिवार के अतिरिक्त सदस्यों के लिये वरियता, वीजा लॉटरी की विविधता खत्म हो जायेगी और शरणार्थियों को दिया जाने वाला स्थायी निवास प्रतिवर्ष 50,000 तक सीमित हो जायेगा तथा यह दक्षता-आधारित अंकों वाली योग्यता प्रणाली की स्थापना करेगा।
एसएएएलटी में नेशनल पॉलिसी एंड एडवोकेसी की निदेशक लक्ष्मी श्रीधरन ने कहा कि योग्यता की दोषपूर्ण धारणाओं पर आधारित परिवारों को तोडऩे वाली और प्रवासियों के बीच गलत विभाजन पैदा करने वाली नीतियां इन मूल्यों के अनुरूप आचरण नहीं करती हैं।