पाकिस्तान इन दिनों अपनी आर्थिक तंगी से जुझ रहा है और इसकी जिम्मेदारी के लिए यहां की सरकार ने भी अपने आप को किनारे कर लिया है। वहीं इसे लेकर पाकिस्तान की वर्तमान सरकार दुनिया के कई देशों से मदद भी मांगी है। और अब पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF से बेलआउट पैकेज को लेकर बातचीत शुरू कर दी है लेकिन इधर, उसका विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से खत्म होता जा रहा है। अगर IMF जल्द ही उसे लोन देने पर सहमत नहीं होता है तो पाकिस्तान डिफॉल्ट हो जाएगा।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट विदेशी कर्ज चुकाने के कारण
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार 27 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 16.1% घट गया है। पाकिस्तान और IMF के बीच बेलआउट पैकेज को लेकर बातचीत अगर सफल होती है तो उसे विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से भी कर्ज के लिए हरी बत्ती मिल जाएगी। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट विदेशी कर्ज चुकाने के कारण हुई है। एसबीपी ने कहा कि देश के वाणिज्यिक बैंकों के पास फिलहाल 5.65 अरब डॉलर है जिसे लेकर देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 8.74 अरब डॉलर हो रहा है।
संकट से बचने के लिए आईएमएफ प्रोग्राम को शुरू करेगा पाकिस्तान
पाकिस्तान के अखबार, 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय निवेश फर्म आरिफ हबीब लिमिटेड ने बताया है कि पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार फरवरी 2014 के बाद से सबसे कम है और यह केवल 18 दिनों के आयात को कवर करता है। एएचएल में रिसर्च हेड ताहिर अब्बास ने कहा, 'देश को डॉलर की सख्त जरूरत है और संकट से बचने के लिए जल्द से जल्द आईएमएफ प्रोग्राम को शुरू करना होगा।'
9 फरवरी तक बेलआउट पैकेज को लेकर बात
मंगलवार से IMF और पाकिस्तान के बीच हो रही बातचीत मंगलवार को IMF की एक टीम पाकिस्तान आई थी जो पाकिस्तानी अधिकारियों से बेलआउट पैकेज की शर्तों को लागू करवाने को लेकर बातचीत कर रही है। पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक संकट से निकालने के लिए IMF ने 7 अरब डॉलर का प्रोग्राम बनाया है जो कई कड़े शर्तों के साथ आता है। पाकिस्तान पिछले महीनों में शर्तों को लेकर IMF प्रोग्राम में जाने से पीछे हट रहा था लेकिन अब हालत ये हैं कि पाकिस्तान के पास कोई और चारा नहीं बचा है। IMF और पाकिस्तान के बीच 9 फरवरी तक बेलआउट पैकेज को लेकर बात होने वाली है।
ईंधन की कीमतों में भी 16% की बढ़ोतरी
पाकिस्तान धीरे-धीरे IMF की शर्तों को देश में लागू कर रहा है जिससे देश में महंगाई और बढ़ती जा रही है। IMF ने अपनी शर्तों में पाकिस्तानी रुपये की विनिमय दर को लचीला बनाने और सब्सिडी को कम करने की बात कही है। पाकिस्तान की सरकार ने हाल ही में विनिमय दर पर एक कैप को हटा दिया जिससे गुरुवार को पाकिस्तानी रुपया 0.93% गिरकर डॉलर के मुकाबले 271.36 रुपये के ऐतिहासिक गिरावट पर बंद हुआ। जुलाई में शुरू हुए वित्तीय वर्ष की तुलना में रुपया 24.51% नीचे आ गया है। शहबाज शरीफ सरकार ने ईंधन की कीमतों में भी 16% की बढ़ोतरी कर दी है।