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पाकिस्तान में पोलियो के 45 नये मामले पाये गये

पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में पोलियो के चार और मामले सामने आने के बाद इस वर्ष अब तक पूरे देश में यह संख्या बढ़कर 45 पर पहुंच गई है।

पाकिस्तान के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में पोलियो के चार और मामले सामने आने के बाद इस वर्ष अब तक पूरे देश में यह संख्या बढ़कर 45 पर पहुंच गई है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) पोलियो वायरोलॉजी लेबोरेटरी के एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए बताया कि लाहौर, झेलम, बन्नू और लक्की मरवात से पोलियो के चार नये मामले सामने आए हैं। 
उन्होंने कहा,‘‘लाहौर में नौ महीने का लड़का, झेलम में चार साल की लड़की, बानू में छह महीने के लड़के और लक्की मरवत में 12 महीने की लड़की में पोलियो बीमारी के वायरस की पुष्टि की गई है। मल के नमूने पिछले महीने प्राप्त हुए थे, लेकिन रविवार को इसकी पुष्टि की गई।’’ गौरतलब है कि इस वर्ष अब तक पूरे देश में पोलियो के 45 मामले सामने आ चुके हैं जबकि पिछले वर्ष केवल 12 मामले सामने आये थे। यही नहीं वर्ष 2017 में तो पोलियो के केवल आठ मामले ही सामने आये थे। 
चिकित्सा जगत से जुड़ लोगों के बीच देश में पोलियों के बढ़ते मामले गंभीर चिंता का विषय हैं तथा सरकार भी इस बात को लेकर काफी गंभीर है। समाचारपत्र डॉन के मुताबिक पोलियो उन्मूलन पर प्रधानमंत्री के सहायक बाबर बिन अत्ता ने पुष्टि की कि चार और बच्चे पोलियो के वायरस से संक्रमित हैं। उन्होंने कहा,‘‘ कुछ सकारात्मक चीजें हैं जिन्हें एकत्र किया गया है। झेलम की चार साल की बच्ची को स्ट्रोक का सामना करना पड़, जिसके कारण उसका प्रतिरक्षा स्तर नीचे चला गया। स्ट्रोक के कारण लड़की को लकवा मार गया था। 
जैसा कि उसके नमूने में पोलियो वायरस पाया गया था इसलिए इसे पोलियो का मामला घोषित किया गया है। हालांकि, यह दर्शाता है कि लड़की पर वायरस ने तब हमला किया जब उसकी प्रतिरक्षा स्तर नीचे चला गया था। दूसरी बात जो यह दर्शाता है कि हमारा निगरानी स्तर बहुत अधिक है।’’ पोलियो एक अत्यधिक संक्रामक बीमारी है जो पांच वर्ष से कम उम, के बच्चों को मुख्य रूप से अपना निशाना बनाती है। इसका वायरस तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है जिससे लकवा मार सकता है या मौत भी हो सकती है। 
पोलियो का कोई इलाज नहीं है हालांकि बच्चों को इस गंभीर बीमारी से बचाने के लिए टीकाकरण सबसे प्रभावी तरीका है। हर बार जब पांच वर्ष से कम उम, के बच्चे को टीका लगाया जाता है, तो वायरस के खिलाफ उनकी सुरक्षा बढ़ जाती है। बार-बार के प्रतिरक्षण ने लाखों बच्चों को पोलियो से बचाया है, जिससे दुनिया के लगभग सभी देश पोलियो मुक्त हो गए हैं।

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