अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते वर्चस्व के बीच हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। सरकारी सशस्त्र बलों और तालिबान में चल रही भीषण लड़ाई के बीच अफगानिस्तान के सेना प्रमुख भारतीय सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे सहित शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों संग बातचीत करने के लिए अगले सप्ताह दो दिनों के लिए भारत का दौरा करेंगे। वहीं भारत लंबे समय से अफगानिस्तान के कैडेटों को सैन्य अकादमियों में प्रशिक्षण दे रहा है।
अफगानिस्तान के सेना प्रमुख जनरल वली मोहम्मद अहमदजई 27 जुलाई से 29 जुलाई तक भारत में रहेंगे और इस दौरान वह यहां के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित शीर्ष गणमान्य व्यक्तियों से मुलाकात करेंगे। सरकार के शीर्ष अधिकारी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है। हालांकि, सूत्रों ने कहा है कि अफगानिस्तान के सेना प्रमुख को रसद समर्थन मिलने और सैन्य उपकरणों की चाह है। भारत लंबे समय से अफगानिस्तान के कैडेटों को सैन्य अकादमियों में प्रशिक्षण दे रहा है।
इसके साथ ही यह दौरा एक ऐसे समय में किया जा रहा है, पाकिस्तान तालिबान के साथ मिलकर अफगानिस्तान में भारतीय संपत्तियों को निशाना बनाना शुरू किया है। भारत ने अफगानिस्तान में सड़कों, बांधों और संसद भवन सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में 3 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इस महीने की शुरूआत में राष्ट्रीय सुलह के लिए उच्च परिषद (एचसीएनआर) का नेतृत्व करने वाले अफगान राजनेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भारत का दौरा किया था। वह सरकारी बलों और तालिबान के बीच जारी लड़ाई के बावजूद शांति के लिए प्रयासरत हैं।
अब्दुल्ला और तालिबान प्रतिनिधियों के नेतृत्व में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल कतर के दोहा में शांति वार्ता कर रहा है। भारत के लिए मुख्य चिंता का विषय पाकिस्तान में बसे आतंकी समूहों द्वारा तालिबान-नियंत्रित क्षेत्र का उपयोग करना है। भारत विकासशील स्थिति को लेकर अफगान सरकार के संपर्क में है। सुरक्षा चिंताओं के बीच भारत 11 जुलाई को कंधार में वाणिज्य दूतावास से अपने कर्मचारियों को वापस ले आया।