भारतीय कंपनी आरपीजी के सात कर्मचारियों को तालिबान ने अफगानिस्तान के बगलान प्रांत में बंधक बना लिया है। आपको बता दे कि आरपीजी ग्रुप के प्रमुख हर्ष गोयनका ने इन लोगों को छुड़ाने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से अपील की है। इस बीच विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वे लोग अफगान अधिकारियों के संपर्क में हैं और घटना के अपडेट पर नज़र बनाए हुए हैं। उन्होंने बताया कि सभी दा अफगानिस्तान ब्रेशना शेरकट (डीएबीएस) के लिए काम कर रहे थे, जिसमें बिजली उत्पादन होता है।
वहीं इस बारे में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अफगानिस्तान के विदेशमंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी से फोन पर बात भी की है। सलाहुद्दीन रब्बानी ने सुषमा स्वराज को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, कि भारतीय इंजीनियरों को छुड़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
वहीं इस मामले में बगलान के गवर्नर अब्दुलहई नेमाती ने बताया, कि तालिबान ने कर्मचारियों का अपहरण कर लिया है और उन्हें पुल ए खोमरे शहर के दांड शाहबुद्दीन इलाका ले गए हैं।
बताया जा रहा है कि रविवार को तालिबान के बंदूकधारियों ने आरपीजी समूह की एक कंपनी में काम करने वाले सात भारतीय इंजीनियरों को कथित तौर पर अगवा कर लिया। बता दे, पहले अगवा सातों लोग भारतीय बताए जा रहे थे, लेकिन बाद में स्पष्ट किया गया कि अगवा लोगों में से 6 भारतीय इंजीनियर हैं जबकि एक शख्स अफगानिस्तान का ही है।
वही , अफगानिस्तान और पाकिस्तान की मीडिया ने इस अपहरण के पीछे तालिबान का हाथ बताया है। हालांकि भारत सरकार अभी तक इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया, ”हमें भारतीय नागरिकों के अफगानिस्तान के बगलान प्रांत से अगवा होने की जानकारी मिली। हम अफगानिस्तान अधिकारियों के संपर्क में हैं। आगे की डिटेल का पता लगाया जा रहा है।
आपको बता दे कि अफगानिस्तान में सुरक्षा अधिकारी अपहृत किए गए सात भारतीय इंजीनियरों की रिहाई के लिए स्थानीय कबायली सरदारों के साथ काम कर रहे हैं।
सातों भारतीय इंजीनियरों का कल तालिबान के बंदूकधारियों ने अशांत उत्तरी बगलान प्रांत में अपहरण कर लिया था। मीडिया की खबरों में आज यह जानकारी दी गई है। प्रांतीय पुलिस के प्रवक्ता जबीउल्ला शूजा ने बताया कि आरपीजी समूह की कंपनी केईसी इंटरनेशनल के भारतीय इंजीनियर एक बिजली उप केंद्र के निर्माण की परियोजना पर काम कर रहे थे।
सातों इंजीनियर कल कार्य की प्रगति का जायजा लेने जा रहे थे। चश्मा ए शीर इलाके में उग्रवादियों ने उनका अपहरण कर लिया।
शूजा ने बताया कि इंजीनियरों को ले जा रहा उनका अफगान वाहन चालक भी लापता है। इन लोगों की रिहाई के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
प्रांत में सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि अपहृत भारतीय इंजीनियरों की रिहाई के लिए अफगान बल , सरकारी अधिकारी और स्थानीय कबायली सरदार प्रयास कर रहे हैं।
प्रांतीय गवर्नर अब्दुल नेमती ने बताया कि सुरक्षा बल और स्थानीय अधिकारी लापता इंजीनियरों और उनके वाहन चालक का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने आश्वासन दिया कि लापता भारतीय इंजीनियरों और उनके वाहन चालक को शीघ्र ही रिहा कर दिया जाएगा। बगलान के गवर्नर ने कल कहा था कि आतंकी समूह ने भारतीय इंजीनियरों और उनके वाहन चालक का यह सोच कर अपहरण किया कि वे सरकारी कर्मचारी हैं।
अभी तक किसी भी समूह ने अपहरण की जिम्मेदारी नहीं ली है।
नयी दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह अफगानिस्तान में प्राधिकारियों से संपर्क बनाए हुए है। वर्ष 2016 में काबुल में 40 वर्षीय भारतीय राहत कर्मी जुडिथ डिसूजा का अपहरण कर लिया गया था। उसे 40 दिन बाद रिहा किया गया था। भारत ने युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान को आर्थिक विकास के लिए कम से कम 2 अरब डालर की सहायता मुहैया कराई है।
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