अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद काबुल एयरपोर्ट पर पूरी तरह से तालिबानियों का कब्ज़ा हो गया है। काबुल एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट की आवाजाही बंद कर दी गई है, ऐसे में हज़ारों की संख्या में लोगों ने पाकिस्तान और ईरान सीमाओं का रुख किया है, जो देश को छोड़कर जाना चाहते हैं। अफगानिस्तान में कभी खुद का आशियाना सजाने वाले लोग अब देश छोड़ने के लिए बेताब है।
जान बचाने के लिए लोग बॉर्डर पार करके दूसरे पड़ोसी मुल्कों में दाखिल होने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान के खैबर पास बॉर्डर पर हजारों की संख्या में लोग अफगानिस्तान की ओर खड़े हैं, जो पाकिस्तान में जाना चाहते हैं। ऐसा ही हाल अफगानिस्तान-ईरान की सीमा पर इस्लाम काला बॉर्डर पोस्ट पर है।
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इस समय नयी सरकार बनाने का दवा करने वाला इस्लामिक चरमपंथी गुट देश के बैंकों, अस्पतालों और सरकारी मशीनरी को चलाने की कोशिशों में जुट गया है। 31 अगस्त को अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही दशकों से युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में अमेरिका का 20 साल पुराना अभियान बिना परिणाम के साथ ही समाप्त हो गया।
एक बार फिर अफगानिस्तान में तालिबानियों की वापसी हुई है। सरकार बनाने की शुरुआत के चरण में तालिबान ने कई देशों ने उससे संपर्क साधना शुरू कर दिया है। वहीं अफगान से कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जो तालिबान के एक अलग ही पहलू को उजागर करती है।