चीन और पाकिस्तान समेत एशिया-प्रशांत समूह के सभी 55 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में दो साल के कार्यकाल के लिए भारत की गैर-स्थायी सदस्यता की उम्मीदवारी का समर्थन किया है जो भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत है।
इस बीच, जर्मनी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है। 15 देशों की सदस्यता वाले यूएनएससी के 202।-2022 के कार्यकाल के लिए पांच गैर-स्थायी सीटों के लिए चुनाव अगले वर्ष जून के आसपास होगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं जिनके पास वीटो की शक्ति है। इन पांच स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस हैं।
जिन 55 देशों ने भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया है उनमें अफगानिस्तान, बंगलादेश, भूटान, चीन, इंडोनेशिया, ईरान, जापान, कुवैत, किर्गीजस्तान, मलेशिया, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, सीरिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और वियतनाम शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करने वाले देशों का धन्यवाद करते हुए ट््वीट किया, ‘‘एशिया-प्रशांत के सभी देशों ने वर्ष 202।2022 के लिए सुरक्षा परिषद में भारत की गैर स्थायी सीट का सर्वसम्मति से समर्थन किया है। ’’
उन्होंने एक वीडियो संदेश के साथ ट्वीट किया, ‘‘एशिया-प्रशांत समूह ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की गैर-स्थायी सीट के लिए भारत का समर्थन किया है। 55 देश, एक उम्मीदवार देश-भारत।’’ इस बीच, भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने मंगलवार को नयी दिल्ली में कहा कि 1.4 अरब की जनसंख्या वाले देश भारत को यूएनएससी में स्थायी सीट मिलनी चाहिए क्योंकि इसकी अनुपस्थिति से परिषद की विश्वसनीयता को चोट पहुंचेगी।
लंबे समय से कई देश यूएनएससी की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र का संस्थापक सदस्य भारत संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों के लिए सैनिकों के सबसे बड़ योगदानकर्ताओं में से एक है। भारत अब तक यूएनएससी के गैर-स्थायी सदस्य के रूप में सात बार निर्वाचित हो चुका है।