बाल्टिक सागर से लेकर प्रशांत महासागर तक 11 अलग-अलग टाइम जोन में रूस के आम चुनाव के लिए तीन दिनों से जारी मतदान रविवार को समाप्त हुआ। नये संसद के चुनाव के लिए हुए मतदान में प्रो-क्रेमलिन सत्तारूढ़ पार्टी के ज्यादातर जगहों पर बहुमत के साथ वापसी की संभावना है।
हालांकि, आम चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया जा रहा है जिसमें फर्जी मतदान, अपर्याप्त सुरक्षा और चुनाव पर्यवेक्षकों पर दबाव आदि शामिल हैं।
इस आम चुनाव को 2024 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले सत्ता पर पकड़ को मजबूत बनाने के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान संसद (स्टेड डूमा) पर नियंत्रण बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।
इस साल हुए आम चुनाव में विपक्ष के ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं को विभिन्न कारणों से चुनाव लड़ने से रोक दिया गया और सरकार ने विरोध करने वालों तथा मतभेद रखने वालों के खिलाफ जमकर बल प्रयोग किया।
कोविड-19 के मद्देनजर रूस सरकार ने इस साल तीन दिन तक मतदान की अनुमति दी थी और रविवार दोपहर तक महज 40 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला। वहीं रूस के सुदूर पूर्व तथा साइबेरिया के क्षेत्रों में मतदान पहले ही समाप्त हो चुका है।
गौरतलब है कि मास्को और अन्य शहरों में मतदाताओं की लंबी-लंबी कतारें लगने के बाद शुक्रवार की सुबह से ही रूसी मीडिया, विपक्षी नेताओं और चुनाव पर्यवेक्षकों द्वारा चुनावी नियमों के उल्लंघन की बातें सामने आने लगी थीं। कतारों में लगे लोगों में कुछ ने बताया कि उनके नियोक्ताओं ने उन्हें वोट डालने के लिए मजबूर किया है। गौरतलब है कि ज्यादातर नियोक्ता सरकार द्वारा संचालित संस्थान या उद्यम हैं।