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परमाणु कार्यक्रम को लेकर परोक्ष बातचीत शुरू करेंगे अमेरिका व ईरान

अमेरिका और ईरान ने शुक्रवार को कहा कि वे दुनिया की अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ अप्रत्यक्ष बातचीत शुरू करेंगे ताकि ईरानी परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने से संबंधित समझौते पर दोनों देश वापस आ सकें। करीब तीन साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ परमाणु करार से अमेरिका को अलग कर लिया था।

अमेरिका और ईरान ने शुक्रवार को कहा कि वे दुनिया की अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ अप्रत्यक्ष बातचीत शुरू करेंगे ताकि ईरानी परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने से संबंधित समझौते पर दोनों देश वापस आ सकें। करीब तीन साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के साथ परमाणु करार से अमेरिका को अलग कर लिया था। 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बातचीत का बहाल होना ‘‘आगे की दिशा में एक स्वस्थ कदम है।’’ यह बातचीत मंगलवार को ऑस्ट्रिया में शुरू हो रही है। 
हालांकि प्राइस ने कहा, ‘ये शुरुआती दिन हैं, और हम तत्काल किसी कामयाबी का अनुमान नहीं लगाते क्योंकि आगे मुश्किल चर्चा होगी।’ 
ट्रंप ने 2018 में ईरान परमाणु करार से अमेरिका को अलग कर लिया था हालांकि राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि ईरानी करार में फिर से शामिल होना उनके प्रशासन की प्राथमिकता है। 
बहुपक्षीय वार्ता की शुरुआत को लेकर सहमति बनी है ताकि 2015 के परमाणु समझौते पर लौटने के लिए ईरान और अमेरिका के मतभेदों पर चर्चा हो सके। 
प्राइस ने कहा कि अगले सप्ताह की वार्ता कार्य समूहों के आसपास केंद्रित रहेगा जिसका गठन यूरोपीय संघ ने ईरान सहित समझौते में शामिल अन्य देशों के साथ किया है। 
ईरान की तरह अमेरिका ने भी कहा है कि तत्काल ईरान के साथ सीधी बातचीत की कोई उम्मीद है। हालांकि प्राइस ने कहा कि अमेरिका इस विचार के लिए तैयार है। 
ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ ने भी जोर दिया कि ईरान और अमेरिका के अधिकारियों के बीच कोई बैठक निर्धारित नहीं है। 
वियना में अंतरराष्ट्रीय संगठनों में रूसी राजदूत मिखाइल उल्यानोव ने कहा कि Òऐसी धारणा बन रही है कि हम सही रास्ते पर हैं, लेकिन आगे का रास्ता आसान नहीं होगा और इसके लिए व्यापक प्रयासों की जरूरत होगी। विभिन्न पक्ष उसके लिए तैयार प्रतीत होते हैं।’’ 
अमेरिका का करार में लौटना जटिल होगा क्योंकि ईरान लगातार करार के प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि ईरान का यह कदम करार में शामिल अन्य देशों- रूस, चीन, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन -पर दबाव डालने के लिए है। 
ईरान ने कहा है कि उसके द्वारा करार का पालन करने से पहले जरूरी है कि प्रतिबंधों को हटाकर अमेरिका अपने दायित्वों को पूरा करे।

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