कनाडा के विशेष बलों को अफगानिस्तान में तैनात किया जाएगा ताकि काबुल में देश का दूतावास बंद किए जाने से पहले कनाडाई कर्मचारियों को वहां से सुरक्षित निकाला जा सके। योजना की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने यह बात बताई।अधिकारी जो मामले के बारे में सार्वजनिक तौर पर बात करने के लिए अधिकृत नहीं थे, ने यह नहीं बताया कि कितने विशेष बलों को भेजा जाएगा।
अफगानिस्तान में अपना युद्ध समाप्त करने की अमेरिका की योजना से महज कुछ हफ्तों पहले बाइडन प्रशासन भी 3,000 नये सैनिकों को काबुल हवाईअड्डे भेज रहा है ताकि अमेरिकी दूतावास को आंशिक तौर पर खाली कराने में मदद मिल सके। ये कदम देश के अधिकांश हिस्सों पर बहुत तेज गति से हो रहे तालिबान के कब्जे के बीच उठाए जा रहे हैं जिसने दूसरे सबसे बड़े शहर और तालिबान आंदोलन की जन्मस्थली कंधार पर बृहस्पतिवार को अपना नियंत्रण कर लिया।
ब्रिटेन ने भी बृहस्पतिवार को कहा था कि बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के बीच ब्रितानी नागिरकों को सुरक्षित निकालने के लिए वह अफगानिस्तान में करीब 600 सैनिक भेजेगा। बता दें कि पेंटागन के चीफ प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि अमेरिका रक्षा मंत्री यानी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने विभाग को अमेरिका और साथी नागरिक कर्मियों की सेफ्टी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभवव कोशिश करने आदेश दिया है।
अमेरिकी की ओर से सेना की अतिरिक्त तैनाती की घोषणा, अफगानिस्तान में बिगड़ती स्थिति के साथ बिडेन प्रशासन में बढ़ती चिंताओं के बीच हुई है, जहां तालिबान अधिक तेजी से आगे बढ़ रहा है। इससे पहले तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों को अपने कब्जे में लेने के बीच व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा था कि यह अफगान नेतृत्व को तय करना है कि क्या उनके पास जवाबी कार्रवाई की राजनीतिक इच्छाशक्ति है या नहीं।
ऐसा दावा किया जा रहा है कि तालिबान ने अफगानिस्तान के 60 प्रतिशत हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लिया है। बाइडन प्रशासन ने कहा कि अफगान राष्ट्रीय बलों के पास तालिबान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की क्षमता और हथियार है। अमेरिका ने दो दशकों तक अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सेना को प्रशिक्षण दिया।