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अमेरिका चोरी-छुुपे दे रहा ताइवान के सुरक्षा बलों को सैन्य प्रशिक्षण, चीन की बढ़ी चिंता

अमेरिका कम से कम एक साल से गुप्त रूप से ताइवान में सैन्य प्रशिक्षकों की एक छोटी टुकड़ी के साथ उनके सैन्य बलों को प्रशिक्षण दे रहा है। एक हालिया मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए अमेरिका का यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

अमेरिका कम से कम एक साल से गुप्त रूप से ताइवान में सैन्य प्रशिक्षकों की एक छोटी टुकड़ी के साथ उनके सैन्य बलों को प्रशिक्षण दे रहा है। एक हालिया मीडिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। चीन के साथ प्रतिद्वंद्विता को देखते हुए अमेरिका का यह कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उधर, वॉल स्ट्रीट जर्नल ने गुरुवार को बताया कि लगभग दो दर्जन अमेरिकी विशेष बल के सैनिक और अनिर्दिष्ट (संख्या के बारे में सही जानकारी नहीं है) संख्या में नौसैनिक अब ताइवानी बलों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। प्रशिक्षकों को पहले पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन द्वारा ताइवान भेजा गया था, लेकिन उनकी उपस्थिति की सूचना अब तक नहीं दी गई थी।
ताइवान के  राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने चीन को चेताया, कहा- 
यह रिपोर्ट तब सामने आई है, जब कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने चीन को चेताया है। राष्ट्रपति वेन के फॉरेन अफेयर्स पत्रिका में छपे लेख में चीन को साफ चेतावनी दी है कि चीन अगर ताइवान पर अतिक्रमण करता है तो पूरे एशिया में इसके विनाशकारी परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने आगे लिखा है कि ताइवान कभी युद्ध जैसी स्थिति और ना ही सैन्य टकराव चाहता है, लेकिन अपने आपको बचाने के लिए जो भी जरूरी प्रयास करने पड़े उन्हें ताइवान करेगा और वह किसी भी हालात में नहीं चूकेगा।
चीन-ताइवान में युद्ध की आशंका
ताइवान राष्ट्रपति का ये बयान ऐसे वक्त पर भी सामने आया है, जब चीन ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। दरअसल चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। वहीं ताइवान अपने आपको अलग स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश मानता है। 1979 के बाद से, जब वाशिंगटन ने चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए, अमेरिकी सैनिक स्थायी रूप से द्वीप पर आधारित नहीं रहे हैं।
गार्डियन ने कहा कि पेंटागन के प्रवक्ता जॉन सप्पल सीधे रिपोर्ट पर टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन उन्होंने कहा है कि ताइवान के साथ हमारा समर्थन और रक्षा संबंध चीन से मौजूदा खतरे के खिलाफ संरेखित है। सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी के इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी प्रोग्राम के फेलो जैकब स्टोक्स ने कहा, यह एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसका उद्देश्य मुख्य रूप से उत्तेजक नहीं है, बल्कि वास्तव में ताइवान की सेना की रक्षा क्षमता में सुधार करना है।

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