ट्रंप प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने आशा जतायी है कि भारत कश्मीर में लगे प्रतिबंधों को तेजी से खत्म करेगा और बंदी बनाए गए लोगों को रिहा करेगा। गौरतलब है कि इससे ठीक एक दिन पहले ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तनाव कम करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की थी।
विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशिया मामलों की शीर्ष अधिकारी एलिस वेल्स ने गुरुवार को यह टिप्पणी की। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र से इतर राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात की थी। ट्रंप ने बुधवार को कहा कि मोदी और खान से मुलाकात के दौरान उन्होंने भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व के समक्ष कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की।
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अब परमाणु शक्ति से लैस दोनों पड़ोसियों को इसपर फैसला लेना है। विशेष संवाददाता सम्मेलन के दौरान कश्मीर से जुड़े सवाल के जवाब में वेल्स ने कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा पांच अगस्त को समाप्त कर दिया और प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक और सामान्य जीवन को पटरी पर लाने का एक खाका भी तैयार किया है। आठ अगस्त को राष्ट्र के नाम प्रधानमंत्री मोदी के संदेश का हवाला देते हुए वेल्स ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमें यह जानने में ज्यादा दिलचस्पी है कि राजनीतिक बातचीत शुरू करने में अगला कदम क्या होगा… उसमें हम आशा करते हैं कि वहां लगे प्रतिबंधों को तेजी से हटाया जाएगा और बंदियों को रिहा किया जाएगा।’’
भारत सरकार ने पांच अगस्त को संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों… जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया। भारत के इस कदम से पाकिस्तान बहुत नाराज है और कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय बनाने की कोशिश कर रहा है। वेल्स ने कहा कि अमेरिका ऐसे किसी भी कदम का स्वागत करेगा जिससे कश्मीर के लोगों को आर्थिक लाभ हो। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अभी सारा ध्यान वहां राजनीतिक जीवन के सामान्य होने और दलों के बीच बातचीत बहाल होने पर लगा है।’’
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उन्होंने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों (सांसदों) ने ट्रंप प्रशासन को लिखे पत्र में यह मुद्दा उठाया है। कांग्रेस ने दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर एक बैठक/ अधिकारियों की सुनवाई भी बुलायी है। वेल्स ने कहा कि अमेरिका ने ‘‘उच्चतम स्तर’’ पर कश्मीर से जुड़ी चिंताओं को उठाया है। बहरहाल, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ मुलाकात के दौरान कश्मीर मुद्दा उठाया या नहीं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किए गए वादों को ही रेखांकित किया है… वह वादे जो उन्होंने सार्वजनिक रूप से भारत और कश्मीर के लोगों से किया है।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करेगा जिससे कश्मीर के लोगों का कल्याण हो और वहां आर्थिक विकास हो। हां, लेकिन वहां पहले राजनीतिक और सामान्य जीवन के हालात सुधारने होंगे। वेल्स ने कहा कि हमने कश्मीर में मानवाधिकार के मुद्दे पर अपनी चिंता साझा की है। हम हालात में सुधार का स्वागत करते हैं।
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उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ‘‘यदि दोनों पक्ष चाहें तो मध्यस्थता करने के इच्छुक हैं।’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपना रूख स्पष्ट किया है कि वह मध्यस्थता नहीं चाहते हैं। भारत हमेशा से कहता रहा है कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को बेहद स्पष्ट शब्दों में नकार दिया है। फ्रांस में हुए जी7 शिखर सम्मेलन से इतर ट्रंप के साथ द्विपक्षीय वार्ता से पहले मोदी ने कहा था, ‘‘भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दे द्विपक्षीय हैं और हम किसी तीसरे पक्ष को कष्ट नहीं देना चाहते। हम इन मुद्दे पर आपस में चर्चा कर समाधान निकाल सकते हैं।’’