अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 2021 के लिए मानवाधिकार रिपोर्ट में श्रीलंकाई सुरक्षा बलों के सदस्यों द्वारा कई शक्तियों के दुरुपयोग करने की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि श्रीलंका सरकार ने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
न्यायपालिका और स्वतंत्र राज्य संस्थानों की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा
विदेश विभाग की वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘पार्लियामेंट ने अक्टूबर 2020 में संविधान में अनुच्छेद 20 का संशोधन पारित किया। विपक्षी दलों और नागरिक समाज समूहों ने कार्यकारी प्राधिकारकण में व्यापक विस्तार के लिए संशोधन की आलोचना की। जो कि न्यायपालिका और स्वतंत्र राज्य संस्थानों की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा। जैसा कि मानवाधिकार आयोग और चुनाव आयोग, राष्ट्रपति को संसद के साथ इन निकायों में नियुक्तियां करने का एकमात्र अधिकार देकर केवल एक सलाहकार भूमिका निभाते हैं।’’
यूद्ध के दौरान लापता हुए लोगों का नही चला पता
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध के दौरान दुर्व्यवहारों के लिए जवाबदेही से बचा गया, विशेष रूप से सरकारी अधिकारियों, सैन्य, अर्धसैनिक, पुलिस और अन्य सुरक्षा-क्षेत्र के अधिकारियों के संबंध में, और कुछ मामलों में, राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों और निजी नागरिकों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया।रिपोर्ट में कहा गया कि युद्ध के दौरान और उसके बाद लापता हुए लोगों के मामलों का कोई समाधान नहीं निकला है।
न्यायपालिका और स्वतंत्र राज्य संस्थानों की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा
विदेश विभाग की वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘पार्लियामेंट ने अक्टूबर 2020 में संविधान में अनुच्छेद 20 का संशोधन पारित किया। विपक्षी दलों और नागरिक समाज समूहों ने कार्यकारी प्राधिकारकण में व्यापक विस्तार के लिए संशोधन की आलोचना की। जो कि न्यायपालिका और स्वतंत्र राज्य संस्थानों की स्वतंत्रता को कमजोर करेगा। जैसा कि मानवाधिकार आयोग और चुनाव आयोग, राष्ट्रपति को संसद के साथ इन निकायों में नियुक्तियां करने का एकमात्र अधिकार देकर केवल एक सलाहकार भूमिका निभाते हैं।’’
यूद्ध के दौरान लापता हुए लोगों का नही चला पता
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि युद्ध के दौरान दुर्व्यवहारों के लिए जवाबदेही से बचा गया, विशेष रूप से सरकारी अधिकारियों, सैन्य, अर्धसैनिक, पुलिस और अन्य सुरक्षा-क्षेत्र के अधिकारियों के संबंध में, और कुछ मामलों में, राजनीतिक विरोधियों, पत्रकारों और निजी नागरिकों की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया।रिपोर्ट में कहा गया कि युद्ध के दौरान और उसके बाद लापता हुए लोगों के मामलों का कोई समाधान नहीं निकला है।
