अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से काबुल पर तालिबान के पुन: कब्जे के बाद युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में पैदा हुई अराजकता और तेजी से बदलते हालात पर बातचीत की। इस दौरान पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में ‘‘समावेशी’’ राजनीतिक समाधान की महत्ता पर बल दिया। अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि ब्लिंकन दुनियाभर के अपने कई समकक्षों से इस विषय पर बात कर रहे हैं और इसी के तहत उन्होंने कुरैशी से बातचीत की।
प्राइस ने कहा, ‘‘विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से आज (सोमवार को) फोन पर बात की। विदेश मंत्री ब्लिंकन और विदेश मंत्री कुरैशी ने अफगानिस्तान और वहां बदल रहे हालात पर चर्चा की।’’ इस बीच, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने इस्लामाबाद में जारी एक बयान में कहा कि कुरैशी ने कम समय में हालात में आए बड़े बदलाव और हिंसा से बचने के संबंध में ब्लिंकन के साथ पाकिस्तान का नजरिया साझा किया। पाकिस्तान की ओर से जारी बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे हालात पर चर्चा की।
उसने कहा, ‘‘उन्होंने (कुरैशी ने) समावेशी राजनीतिक समाधान के सर्वश्रेष्ठ तरीका होने की महत्ता पर जोर दिया।’’ कुरैशी ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान एक शांतिपूर्ण एवं स्थिर अफगानिस्तान के समर्थन में प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका और अन्य अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ निकट संपर्क बनाए रखेगा। उन्होंने जोर दिया कि अफगानिस्तान में अमेरिका की आर्थिक गतिविधियां जारी रखना बहुत महत्वपूर्ण है। कुरैशी ने राजनयिक मिशन, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, मीडिया और अन्य कर्मियों की अफगानिस्तान से वापसी के संबंध में पाकिस्तान के प्रयासों से अवगत कराया।
अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार के गिर जाने और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने के बाद रविवार को तालिबान के लड़ाके काबुल में घुस गए। इसके साथ ही दो दशक लंबे उस अभियान का आश्चर्यजनक अंत हो गया जिसमें अमेरिका और उसके सहयोगियों ने देश में बदलाव लाने की कोशिश की थी। कुरैशी ने पाकिस्तान एवं अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों के बारे में बात करते हुए अमेरिका के साथ शांति, गहन आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय संपर्क पर आधारित व्यापक, दीर्घकालिक एवं स्थायी संबंध बनाने की पाकिस्तान की प्रतिबद्धता रेखांकित की। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कहा कि कुरैशी और ब्लिंकन ने साझे उद्देश्यों को प्रोत्साहित करने के लिए निकट संपर्क बनाए रखने पर सहमति जताई।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में सोमवार को हुई पाकिस्तान की एक उच्च स्तरीय बैठक में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के फैसले का समर्थन किया गया। बैठक में कहा गया कि लंबे समय तक विदेशी सैनिकों की उपस्थिति से युद्धग्रस्त पड़ोसी देश (अफगानिस्तान) में कोई अलग परिणाम नहीं निकलता। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (एनएससी) ने पाकिस्तान का यह रुख दोहराया कि अफगानिस्तान में संघर्ष का कभी सैन्य समाधान नहीं निकल सकता।
उसने कहा कि संघर्ष को वार्ता के जरिए समाप्त करने का सबसे उचित समय तब था, जब अमेरिका और नाटो बलों की अफगानिस्तान में सर्वाधिक सैन्य मौजूदगी थी। बैठक में भाग लेने वालों ने दोहराया कि पाकिस्तान सभी अफगान जातीय समूहों का प्रतिनिधित्व करते हुए एक समावेशी राजनीतिक समाधान को लेकर प्रतिबद्ध है। उसने इस बात पर भी बल दिया कि अफगानिस्तान में हस्तक्षेप नहीं करने के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए।
इस बीच, अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम ने ‘फॉक्स न्यूज’ को दिए साक्षात्कार में बाइडन से अपील की कि वह पाकिस्तान एवं चीन से अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देने के लिए कहें। उन्होंने कहा, ‘‘जरूरी बात यह है कि यदि हम दुनिया को इस सत्ता को मान्यता नहीं देने के लिए कहते हैं तो हम तालिबान के खतरे को काबू कर सकते हैं।’’ ग्राहम ने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि राष्ट्रपति बाडइन पाकिस्तान और चीन से कहें कि यदि आप तालिबान को मान्यता देते हैं, तो आप ऐसे आतकंवादी संगठन को मान्यता देंगे, जिसके हाथ अमेरिकियों के खून से सने हैं और हम आपको जवाबदेह ठहराएंगे।’’