मालदीव में चुनावों को अगर चीन और भारत के संघर्ष या वर्चस्व के लड़ाई के रूप में न देखा जाएं तो गलत नहीं होगा और ऐसा क्यों आइए जानते है। मालदीव के चुनाव में विपक्ष के नेता मोहम्मद मोइज्जू ने जीत हासिल की है। चुनाव में टक्कर देने वाले राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह हार गए। अब मोहम्मद मोइज्जू की जीत के बाद साफ तौर पर माना जा रहा है कि मालदीव पर अब चीन का प्रभाव पड़ने वाला है। मोइज्जू ने पद संभालने से पहले ही भारत के खिलाफ ड्रैगन की भाषा इस्तेमाल शुरू कर दिया था। राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने देश से भारतीय सैनिकों को निकालने वाले वादे पर अड़े हुए है।
मोहम्मद मुइजू ने कहा है कि राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पहले हफ्ते के भीतर मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटा दिया जाएगा। अगले महीने मोहम्मद मुइजू आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति का पद संभालेंगे। मुइजू ने कहा है कि हम कूटनीतिक तरीकों से ही भारतीय सेना को हटाएंगे। मोहम्मद मुइजू को चीन समर्थक राष्ट्रपति के तौर पर जाना जाता है। मोहम्मद मुइजू पर चीन का काफी प्रभाव है। उन्होंने पूरे चुनाव अभियान के दौरान बोझ-विरोधी एजेंडा अपनाया।
इनके जीतने से पहले ही लोगों को विश्वास था कि वह सत्ता में आते ही भारत विरोधी रुख अपना लेंगे। उन्होंने ऐसी ही शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद संभालने के बाद पहले दिन मैं भारत से अनुरोध करूंगा कि वह अपनी सेना को घर ले जाए। ये बात उन्होंने एक इंटरनेशनल न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कही। मालदीव में हुए चुनाव में मोहम्मद मुइजू ने इब्राहिम सोलेह को हरा दिया। इब्राहिम सोलिह को भारत समर्थक माना जाता है।
मोहम्मद मुइजू ने कहा"हम कई सदियों से एक शांतिपूर्ण राष्ट्र रहे हैं। हमारी धरती पर कोई विदेशी सेना नहीं थी। हम कोई बड़ी सेना नहीं हैं। अगर विदेशी सैनिक हमारी ज़मीन पर हैं, तो हम सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं"। बता दे मालदीव की अर्थव्यवस्था काफी हद तक भारत पर निर्भर है। हर साल बड़ी संख्या में भारतीय मालदीव जाते हैं।