अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने काबुल पर तालिबान के विजय अभियान से भागने का वर्णन करते हुए कहा कि निर्णय “मिनटों” में लिया गया था और उन्हें नहीं पता था कि वह देश छोड़ रहे थे। गनी ने बताया कि 15 अगस्त, 2021 की सुबह, जिस दिन इस्लामवादियों ने राजधानी पर अधिकार कर लिया और उनकी अपनी सरकार गिर गई, उन्हें “कोई आभास नहीं” था कि यह अफगानिस्तान में उनका आखिरी दिन होगा।
अशरफ गनी ने बताई अफगानिस्तान की उस वक्त की स्थिति
गनी ने ब्रिटेन के पूर्व चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल निक कार्टर द्वारा आयोजित साक्षात्कार में कहा लेकिन उस दोपहर तक राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा “ढह चुकी” थी। उन्होंने आगे कहा कि अगर मैं एक स्टैंड लेता तो वे सभी मारे जाते, और वे मेरा बचाव करने में सक्षम नहीं थे। उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब सचमुच भयभीत थे। उन्होंने मुझे दो मिनट से ज्यादा नहीं दिया। उन्होंने खोस्त, जलालाबाद आदि शहरों के बारे में सोचा लेकिन ये शहर तालिबान के कब्जे में आ चुके थे। लेकिन जब हमने उड़ान भरी तो यह साफ था कि हम जा रहे हैं। गनी तब से संयुक्त अरब अमीरात में हैं।
गनी ने पैसे लेकर भागने से किया इंकार, साथी ही दी सफाई
अफगानिस्तान को मुश्किल में छोड़कर भागने के लिए अशरफ गनी की पुरे विश्व में बहुत आलोचना हुई थी। अफगानिस्तान अब तालिबान के कठोर शासन की कैद में है, गनी पर अफगानिस्तान छोड़ने और लाखों डॉलर नकद लेकर भागने का आरोप लगाया गया था जिसपर उन्होंने एक बार फिर “स्पष्ट रूप से” इनकार कर दिया।गनी ने बताया है कि मेरी पहली चिंता काबुल में होने वाली लड़ाई को रोकने की थी।
गनी ने कहा काबुल को बचाने के लिए मुझे ऐसा करना पड़ा। यह कोई राजनीतिक समझौता नहीं था, यह एक हिंसक तख्तापलट था। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मुझे बलि का बकरा बनाया गया। मेरे जीवन के सभी काम इसके नीचे दबा दिए गए। मेरे मूल्यों को कुचल दिया गया। अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ वह अफगानिस्तान का मसला नहीं बनकर अमेरिकी मसला बन गया।