बांग्लादेश में उग्रवादी संगठन ‘हिफाजत-ए-इस्लाम’ के नायब-ए-अमीर और हिफाजत की नारायणगंज इकाई के प्रमुख अब्दुल अवाल ने अपने संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा देशभर में जगह-जगह तीन दिनों तक हिंसक कार्रवाई को अंजाम देने के कारण नाराजगी जताते हुए कथित तौर पर अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है।
अवाल ने नारायणगंज में डीआईटी वाणिज्यिक क्षेत्र की रेलवे मस्जिद में सोमवार रात शब-ए-बारात के मौके पर अपने संबोधन में इसकी घोषणा की। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश यात्रा के विरोध के नाम पर हिफाजत-ए-इस्लाम के कार्यकर्ताओं ने ढाका, नारायणगंज, सिलहट, ब्राह्मणबेरिया, चटगांव सहित पूरे देश में हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी की।
उग्रवादी संगठन ने सरकारी प्रतिष्ठानों में तोड़फोड़ और आगजनी करने के लिए कौमी मदरसों के बच्चों का इस्तेमाल किया। साथ ही इसने ब्राह्मणबेरिया और चटगांव के सभी सरकारी कार्यालयों, पुलिस स्टेशनों और मंदिरों में तोड़फोड़ की। उन्होंने सार्वजनिक वाहनों और पुलिस पर ईंटों से हमला किया। दो जिलों में स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस ने उन पर गोलियां भी चलाईं।
झड़प के दौरान कम से कम 60 पुलिसकर्मी घायल हो गए और 14 लोगों की मौत हो गई। इस बीच, कई बार प्रयास करने के बावजूद हिफाजत नेता से फोन पर संपर्क नहीं हो पाया। लेकिन, उनके खादिम (निजी सहायक) मेहदी हसन ने पुष्टि की कि अवाल ने इस्तीफे की घोषणा की है और उन पर कोई दबाव नहीं था।
संगठन के प्रचार सचिव मुफ्ती मुहम्मद अब्दुल मुमीन ने दावा किया कि हिफजात के नेताओं के बीच कुछ गलतफहमी है..यह कोई आधिकारिक इस्तीफा नहीं था। उन्होंने कहा, शायद नायब-ए-अमीर कुछ गलतफहमी के कारण संगठन छोड़ना चाहते थे। स्थानीय नेताओं के साथ उनके कुछ मुद्दे हो सकते हैं।
हालांकि, वायरल वीडियो क्लिप प्रामाणिक है। गौरतलब है कि नायब-ए-अमीर का वीडियो क्लिप वायरल होने के बाद से उनके इस्तीफे को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।