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कैंब्रिज एनलिटिका के कर्मचारी को जहर दिए जाने की आशंका

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कैंब्रिज एनलिटिका के एक पूर्व कर्मचारी ने ब्रिटिश संसद की एक प्रवर समिति को बताया कि भारत में कंपनी की परियोजना पर काम कर चुके रोमानिया के एक कर्मचारी को संभवत: केन्या में ‘जहर’ दे दिया गया। कैंब्रिज एनलिटिका के पूर्व कर्मचारी क्रिस्टोफर वाइली ने डिजिटल, संस्कृति, मीडिया और खेल से संबंधित प्रवर समिति के समक्ष मंगलवार को कहा, ‘डेन मुरेसन ने भारत की परियोजना पर काम किया था, लेकिन एक करार के फेल हो जाने के बाद 2012 में केन्या के एक होटल में उन्हें संभवत: जहर दे दिया गया।’

वाइली ने कहा, ‘सीए ने भारत में एक कार्यालय और कर्मचारियों के साथ ‘प्रभावी’ तरीके से काम किया और मेरा विश्वास है कि कांग्रेस उनका(सीए) ग्राहक था।’ वाइली के साथ समिति के समक्ष पेश डेटा संरक्षण विशेषज्ञ पॉल ऑलिवियर डेहाय ने आरोप लगाया कि मुरेसन ने एक अज्ञात भारतीय करोड़पति से पैसे लेने के बाद कांग्रेस के लिए काम करते वक्त पार्टी को धोखा दिया था। अज्ञात भारतीय करोड़पति चुनाव में कांग्रेस की हार चाहता था।

ब्रिटेन के संसद द्वारा हालांकि वाइली की गवाही वेब पर वीडियोकास्ट होने के दौरान, वाइली ने स्पष्ट किया कि मुरेसन को जहर दिए जाने का दावे के बारे में उनके कथन पर ‘वह सत्यता के बारे में नहीं बोल सकते।’ वाइली ने कहा, ‘मुझे यही बताया गया है, और इसलिए मैं ऐसा नहीं कह रहा कि यह सच है।

लोगों ने संदेह जताया था कि मुरेसन को होटल के कमरे में जहर दिया गया था।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने यह भी सुना था कि 24 घंटे तक होटल के कमरे में प्रवेश नहीं करने के लिए पुलिस को रिश्वत दी गई थी।’ वाइली ने मुरेसन की मौत को केन्या में उसके द्वारा किए गए काम से जोड़ा, न कि भारत में किए जा रहे काम से। उन्होंने कहा,

‘जब आप केन्या की राजनीति (अफ्रीकी देशों की राजनीति) में काम करते हैं और कोई करार गलत हो गया, तो आपको उसकी कीमत चुकानी पड़ती है।’ रोमानिया-इंसाइडर डॉट कॉम के मुताबिक, मुरेसन रोमानिया के पूर्व कृषि मंत्री लोन अवराम मुरेसन के पुत्र थे। वहीं ‘पर्सनल डॉट डेटा डॉट आईओ’ के सह संस्थापक डेहाय ने कहा कि मुरेसन ने केन्या और भारत में परियोजनाओं पर एकसाथ काम किया था। वाइली ने कहा कि उसने मुरेसन की कुछ परियोजनाओं पर काम किया, लेकिन जब वे सीए में शामिल हुए, तो उन्हें मुरेसन की मौत के बारे में पता नहीं था।

भारत के संबंध में पूछताछ करने वाले लेबर पार्टी सांसद पॉल फरेली ने कहा, ‘भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हर समय वहां चुनाव होते रहते हैं, इसलिए भारत कारोबार का एक मुख्य स्रोत है।’ पॉल ने भारत में सीए की संलिप्तता के बारे में और विस्तृत जानकारी मांगी।

डेटा संरक्षक डेहाय ने कहा कि भारत से प्राप्त रपट के अनुसार मुरेसन स्पष्ट रूप से कांग्रेस के लिए काम करता था। उन्होंने कहा, ‘लेकिन उसे एक भारतीय करोड़पति ने पैसे दिए, जो यह चाहता था कि कांग्रेस की चुनाव में हार हो। इसलिए वह एक पार्टी के लिए काम करने का दिखावा करता था, लेकिन उसे किसी और ने भी भुगतान किया था। कुछ इस तरह की रपट भारत से आ रही है।’

वाइली ने कहा, ‘कांग्रेस के लिए काम करने के अलावा, सीए ने भारत में सभी प्रकार की परियोजना पर काम किए हैं। मुझे याद नहीं कि वह राष्ट्रीय परियोजना थी, लेकिन मुझे पता है यह क्षेत्रीय थी। भारत इतना बड़ा है कि वहां का एक राज्य ब्रिटेन के बराबर है।’ उन्होंने कहा कि उनके पास सीए की भारत में संलिप्तता को लेकर दस्तावेज हैं और उन्होंने उसे समिति को उलब्ध कराने की पेशकश की। समिति के एक सदस्य डेमियन कॉलिंस ने उन्हें दस्तावेज मुहैया कराने को कहा।

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